वृषभ संक्रांति व्रत कथा | Vrishabh Sankranti Vrat Katha in Hindi PDF

नमस्कार पाठकों, इस लेख के माध्यम से आप वृषभ संक्रांति व्रत कथा / Vrishabh Sankranti Vrat Katha in Hindi PDF प्राप्त कर सकते हैं। ज्योतिष शास्त्र की बात की जाए तो जब सूर्य देव जी महीने में एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करते हैं तो उसे संक्रांति के नाम से जाना जाता है। परंतु जब सूर्य देव अपनी उच्च राशि मेष से निकलकर वृषभ राशि में प्रवेश करते हैं तो इसे वृषभ सक्रांति के नाम से जाना जाता है।

सूर्य देव की इस राशि परिवर्तन से मौसम में भी परिवर्तन को देखा जा सकता है हिंदू धर्म के अंतर्गत वृषभ सक्रांति को बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है यदि हम वर्ष की बात करें तो पूरे साल में 12 सक्रांति होती है। इस वर्ष वृषभ सक्रांति 2023 15 मई को है यदि आप अपनी जीवन को खुशहाल तरीके से जीना चाहते हैं तो यह व्रत आपके लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है जो भी व्यक्ति सच्चे दिल से इस व्रत को रखकर भगवान की पूर्ण उपासना करता है उसे सभी सुखों की प्राप्ति होती है। आज इस लेख के माध्यम से आप बिना किसी परेशानी के वृषभ संक्रांति की कथा पढ़ सकते हैं और पीडीएफ डाउनलोड करने के लिए नीचे दिए गए बटन पर क्लिक करें।

 

वृषभ संक्रांति व्रत कथा | Vrishabh Sankranti Vrat Katha in Hindi PDF – सारांश

PDF Name वृषभ संक्रांति व्रत कथा | Vrishabh Sankranti Vrat Katha in Hindi PDF
Pages 1
Language Hindi
Source pdfinbox.com
Category Religion & Spirituality
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वृषभ संक्रांति की कथा PDF | Vrishabh Sankranti Ki Katha

पुरानी कथाओं के अनुसार यह मान्यता है कि प्राचीन समय में एक धरमदास नाम का एक व्यक्ति वैश्य रहा करता था वह बहुत ही बड़ा दानवीर था 1 दिन उसे कहीं से अक्षय तृतीय के बारे में पता चला उसे ज्ञात हुआ कि शुक्ल पक्ष की तृतीय तिथि पर सच्चे दिल से देवताओं की पूजा करने और ब्राह्मणों को दान देने से अक्षय फल की प्राप्ति होती है उसी दिन से वह अक्षय तृतीया का व्रत पूर्ण विधि-विधान से करना शुरू कर देता है।

व्रत के दिन वह बहुत सी वस्तुओं का दान करता है जैसे – चना, गुड़, दूध, दही, इत्यादि वह जब यह सब कर रहा था तो उसकी पत्नी उसे यह सब करने से मना कर देती है परंतु उसने अपनी पत्नी की बात नहीं सुनी और पूर्ण श्रद्धा के साथ अक्षय तृतीय के व्रत को पूरा किया उसके कुछ समय पश्चात धरमदास की मृत्यु हो जाती है।

और ऐसा कहा जाता है कि उसका पुनर्जन्म राजा के रूप में हुआ वह पुनर्जन्म के बाद द्वारका की माटी नगर का राजा बना और यह बात सत्य हो गई थी अक्षय तृतीय व्रत करने से ही उसे इस फल की प्राप्ति हुई थी उसी दिन से वृषभ सक्रांति का दिन बहुत ही और पूजनीय है और जो भी व्यक्ति सच्चे दिल से यह व्रत करता है उसे मनचाही वस्तु की प्राप्ति होती है।

 

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