सूर्य देव चालीसा | Surya Chalisa PDF

नमस्कार मित्रों, आज इस लेख के माध्यम से हम आप सभी के लिए सूर्य देव चालीसा | Surya Chalisa PDF in Hindi में प्रदान करने जा रहे हैं। माता संतोषी सभी के दुखो को हरने वाली है। सूर्य देव पूजा हिंदू धर्म में मुख्य रूप से की जाती है वेदों के अनुसार सूर्य देव जगत की आत्मा है हिंदू धर्म में माना जाता है कि यदि कोई स्त्री पुत्र प्राप्ति करना चाहती है। तो वह सूर्य देव की पूजा करें सूर्य देव को एक मुख्य देव माना जाता है।

सूर्य देव की पूजा करने के लिए उनके मंत्र का जाप करें और गायत्री मंत्र का भी जाप करें आज हम आप सभी के लिए सूर्य देव की पूजा संबंधी सभी जानकारी लेकर आए हैं आप यहां से सभी जानकारी एकत्रित कर सकते हैं और पीडीएफ भी डाउनलोड कर सकते हैं।

सूर्य देव चालीसा | Surya Chalisa PDF – सारांश

PDF Name सूर्य देव चालीसा | Surya Chalisa PDF
Pages 4
Language Hindi
Category Religion & Spirituality
Source pdfinbox.com
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श्री सूर्य चालीसा | SuryaDev Chalisa in Hindi

दोहा
कनक बदन कुण्डल मकर, मुक्ता माला अङ्ग,
पद्मासन स्थित ध्याइए, शंख चक्र के सङ्ग॥
चौपाई
जय सविता जय जयति दिवाकर!, सहस्त्रांशु! सप्ताश्व तिमिरहर॥
भानु! पतंग! मरीची! भास्कर!, सविता हंस! सुनूर विभाकर॥ 1॥
विवस्वान! आदित्य! विकर्तन, मार्तण्ड हरिरूप विरोचन॥
अम्बरमणि! खग! रवि कहलाते, वेद हिरण्यगर्भ कह गाते॥ 2॥
सहस्त्रांशु प्रद्योतन, कहिकहि, मुनिगन होत प्रसन्न मोदलहि॥
अरुण सदृश सारथी मनोहर, हांकत हय साता चढ़ि रथ पर॥3॥
मंडल की महिमा अति न्यारी, तेज रूप केरी बलिहारी॥
उच्चैःश्रवा सदृश हय जोते, देखि पुरन्दर लज्जित होते॥4
मित्र मरीचि, भानु, अरुण, भास्कर, सविता सूर्य अर्क खग कलिकर॥
पूषा रवि आदित्य नाम लै, हिरण्यगर्भाय नमः कहिकै॥5॥
द्वादस नाम प्रेम सों गावैं, मस्तक बारह बार नवावैं॥
चार पदारथ जन सो पावै, दुःख दारिद्र अघ पुंज नसावै॥6॥
नमस्कार को चमत्कार यह, विधि हरिहर को कृपासार यह॥
सेवै भानु तुमहिं मन लाई, अष्टसिद्धि नवनिधि तेहिं पाई॥7॥
बारह नाम उच्चारन करते, सहस जनम के पातक टरते॥
उपाख्यान जो करते तवजन, रिपु सों जमलहते सोतेहि छन॥8॥
धन सुत जुत परिवार बढ़तु है, प्रबल मोह को फंद कटतु है॥
अर्क शीश को रक्षा करते, रवि ललाट पर नित्य बिहरते॥9॥
सूर्य नेत्र पर नित्य विराजत, कर्ण देस पर दिनकर छाजत॥
भानु नासिका वासकरहुनित, भास्कर करत सदा मुखको हित॥10॥
ओंठ रहैं पर्जन्य हमारे, रसना बीच तीक्ष्ण बस प्यारे॥
कंठ सुवर्ण रेत की शोभा, तिग्म तेजसः कांधे लोभा॥11॥
पूषां बाहू मित्र पीठहिं पर, त्वष्टा वरुण रहत सुउष्णकर॥
युगल हाथ पर रक्षा कारन, भानुमान उरसर्म सुउदरचन॥12॥
बसत नाभि आदित्य मनोहर, कटिमंह, रहत मन मुदभर॥
जंघा गोपति सविता बासा, गुप्त दिवाकर करत हुलासा॥13॥
विवस्वान पद की रखवारी, बाहर बसते नित तम हारी॥
सहस्त्रांशु सर्वांग सम्हारै, रक्षा कवच विचित्र विचारे॥14॥
अस जोजन अपने मन माहीं, भय जगबीच करहुं तेहि नाहीं ॥
दद्रु कुष्ठ तेहिं कबहु न व्यापै, जोजन याको मन मंह जापै॥15॥
अंधकार जग का जो हरता, नव प्रकाश से आनन्द भरता॥
ग्रह गन ग्रसि न मिटावत जाही, कोटि बार मैं प्रनवौं ताही॥
मंद सदृश सुत जग में जाके, धर्मराज सम अद्भुत बांके॥16॥
धन्य-धन्य तुम दिनमनि देवा, किया करत सुरमुनि नर सेवा॥
भक्ति भावयुत पूर्ण नियम सों, दूर हटतसो भवके भ्रम सों॥17॥
परम धन्य सों नर तनधारी, हैं प्रसन्न जेहि पर तम हारी॥
अरुण माघ महं सूर्य फाल्गुन, मधु वेदांग नाम रवि उदयन॥18॥
भानु उदय बैसाख गिनावै, ज्येष्ठ इन्द्र आषाढ़ रवि गावै॥
यम भादों आश्विन हिमरेता, कातिक होत दिवाकर नेता॥19॥
अगहन भिन्न विष्णु हैं पूसहिं, पुरुष नाम रविहैं मलमासहिं॥20॥
दोहा
भानु चालीसा प्रेम युत, गावहिं जे नर नित्य,
सुख सम्पत्ति लहि बिबिध, होंहिं सदा कृतकृत्य॥

श्री सूर्य देव पूजा विधि

  1. सूर्य देव की पूजा मुख्य रूप से रविवार के दिन की जाती है
  2. हिंदू धर्म के अनुसार सूर्य देव अति शीघ्र प्रसन्न हो जाते हैं
  3. जब सूर्य उदय हो तो सूर्य को एक लोटा जल अर्पित करें और ओम नमः शिवाय का जाप करें
  4. उसके बाद जो जल सूर्यदेव अर्पित किया है उसमें लाल रोली, लाल फूल मिलाकर अर्घ्य दें।
  5. उसके बाद लाल आसन पर बैठकर पूर्व दिशा की ओर मुख करके सूर्य के मंत्र का कम से कम 108 बार जाप अवश्य करना है
  6. अंत में सूर्य देव को प्रणाम करें और अपने दुख को मन ही मन व्यक्त करके अपनी मनोकामना की प्रार्थना करें

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