शनि प्रदोष व्रत कथा | Shani Pradosh Vrat Katha PDF

नमस्कार पाठकों, इस लेख के माध्यम से आप शनि प्रदोष व्रत कथा / Shani Pradosh Vrat Katha PDF प्राप्त कर सकते हैं। हिंदू धर्म के अंतर्गत शनि प्रदोष व्रत को बहुत ही विशेष महत्व प्राप्त है। जब भी प्रदोष व्रत शनिवार के दिन पड़ता है तो इसे शनि प्रदोष व्रत कहा जाता है। इस दिन भगवान शिव के साथ-साथ भगवान शनिदेव जी की भी पूजा की जाती है। यदि आप अपने जीवन में किसी भी समस्या का सामना कर रहे हैं तो आपको यह व्रत अवश्य ही रखना चाहिए।

इस व्रत को रखने से सभी कष्टों का निवारण हो जाता है भगवान शिव के साथ-साथ भगवान शनि देव जी की सकारात्मक दृष्टि आप पर हमेशा बनी रहती है। जिससे आप और आपका परिवार हमेशा शांतिपूर्ण और खुशहाल जीवन व्यतीत कर सकते हैं आप इस पोस्ट के माध्यम से आप शनि प्रदोष व्रत कथा 2023 / Shani Pradosh Vrat Katha 2023 पढ़ सकते हैं। और नीचे दिए गए डाउनलोड बटन पर क्लिक करके पीडीएफ डाउनलोड कर सकते हैं।

 

शनि प्रदोष व्रत कथा | Shani Pradosh Vrat Katha PDF – सारांश

PDF Name शनि प्रदोष व्रत कथा | Shani Pradosh Vrat Katha PDF
Pages 2
Language Hindi
Source pdfinbox.com
Category Religion & Spirituality
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शनि प्रदोष व्रत की कथा | Shani Pradosh Vrat Katha

एक प्राचीन कथा के अनुसार एक नगर में सेठ बहुत ही अमीर था। वह वैभव से संपन्न था इसके बावजूद वह बहुत ही दयालु था जो भी व्यक्ति उसके पास जाता था। वह कभी खाली हाथ नहीं लौटता था। वह सभी लोगों को जितना हो सकता था भर-भर कर दान दक्षिणा दिया करता था। परंतु उसकी पत्नी बहुत ही दुखी थी और उसके दुखी होने का मुख्य कारण संतान का न होना था।

एक दिन वे तीर्थ यात्रा पर जाने का निर्णय लेते हैं। वे अपने सभी काम अपने सेवकों को सौंपकर यात्रा के लिए चल देते हैं जैसे ही वे अपने नगर से बाहर निकल कर थोड़ी ही दूर चलते हैं उन्हें एक तेजस्वी साधु एक विशाल वृक्ष के नीचे समाधि लगाएं दिखाई देते हैं।

उन्होंने उस साधु महाराज से आशीर्वाद लेने के बारे में सोचा और दोनों पति पत्नी साधु के पास जाकर दोनों हाथ जोड़कर बैठ गए और उनकी समाधि टूटने तक इंतजार करने लगे। काफी देर हो गई सुबह से शाम और उसके बाद रात हो गई परंतु साधु अभी भी समाधि में था। इसके बावजूद दोनों पति पत्नी धैर्य पूर्वक हाथ जोड़कर बैठे रहे।

अगले दिन सुबह साधु अपनी समाधि से उठे और दोनों पति पत्नी को देखा तो वह मन ही मन मंद मंद मुस्काए। साधु उन्हें देखकर अपना हाथ आशीर्वाद के लिए उठाते हैं और कहते हैं कि मैं तुम्हारे अंतर्मन की बात को जान गया हूं। मैं तुम्हारे धैर्य और भक्ति भाव से बहुत ही प्रसन्न हूं। उसके बाद साधु ने उन्हें संतान प्राप्ति के लिए शनि प्रदोष व्रत करने का सुझाव दिया।

दोनों पति पत्नी अपनी यात्रा को पूरी करके घर पहुंचे तो उन्होंने नियम के अनुसार शनि प्रदोष व्रत किया। और इस व्रत के प्रभाव की वजह से पत्नी ने एक सुंदर पुत्र को जन्म दिया। शनि प्रदोष व्रत के प्रभाव से उनके वहां अंधकार खुशहाली में बदल गया और दोनों खुशी-खुशी रहने लगे।

जो भी व्यक्ति शनि प्रदोष व्रत कथा को ध्यान से सुनता है और सच्चे दिल से पूजा करता है उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।

 

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