पशुपति व्रत कथा | Pashupati Vrat Katha PDF in Hindi

नमस्कार मित्रों, आज इस लेख के माध्यम से हम आप सभी के लिए पशुपति व्रत कथा / Pashupati Vrat Katha PDF in Hindi में प्रदान करने जा रहे हैं। यदि आप अपने जीवन में किसी भी प्रकार की समस्या जैसे कि रोग, धन, अशांति, या अन्य किसी भी प्रकार की समस्या का सामना कर रहे हैं तो आपको पशुपति व्रत अवश्य ही करना चाहिए पशुपति व्रत भगवान पशुपतिनाथ को समर्पित है जो भगवान शिव के एक रूप है।

पशुपति व्रत सोमवार के दिन शुरू किया जाता है और यह निरंतर पांच सोमवार तक किया जाता है। हिंदू धर्म के अनुसार मान्यता यह है कि जो भी व्यक्ति सच्चे दिल से पशुपति व्रत करता है उसके जीवन की सभी समस्याएं समाप्त हो जाती हैं और संपूर्ण जीवन आनंदमय हो जाता है। दोस्तों आज हम इस पोस्ट के माध्यम से पशुपति व्रत कथा लेकर आए हैं यहां से आप बिना किसी परेशानी के पशुपति व्रत की कथा / Pashupati Vrat Katha कथा को पढ़ सकते हैं साथ ही अगर आप चाहे तो इसकी पीडीएफ भी डाउनलोड कर सकते हैं यदि आप पशुपति व्रत की विधि देखना चाहते हैं तो क्लिक करें

पशुपति व्रत कथा | Pashupati Vrat Katha PDF in Hindi – सारांश

PDF Name पशुपति व्रत कथा | Pashupati Vrat Katha PDF in Hindi
Pages 2
Language Hindi
Our Website pdfinbox.com
Category Religion & Spirituality
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भगवान पशुपति नाथ की कथा | Bhagwan Pashupatinath Ki Katha

कथा शुरू करने से पहले अपने साथ कुछ पत्र (चावल के दाने) लेकर जाएं और ये पत्र उन सभी लोगों को दें जो एक साथ सुन रहे हों औरजब कथा समाप्त हो तो इन पत्रों को मंदिर में चढ़ाएं इन्हीं इधर उधर ना फेंके।

एक बार की बात है भगवान शिव नेपाल की सुन्दर तपोभूमि से आकर्षित होकर एक बार कैलाश छोड़कर यहाँ आये और यहीं ठहरे। इस क्षेत्र में वह तीन सींग वाले हिरण (चिंकारा) के रूप में विचरण करने लगा। इसलिए इस क्षेत्र को पशुपति क्षेत्र या मृगस्थली भी कहा जाता है। शिव को इस तरह अनुपस्थित देखकर ब्रह्मा और विष्णु चिंतित हो गए और दोनों देवता भगवान शिव की खोज में निकल पड़े।

इस रमणीय क्षेत्र में उसने एक देदीप्यमान, मोहक तीन सींग वाला मृग विचरण करते देखा। उन्हें मृग रूपी शिव पर शक होने लगा। योग विद्या से ब्रह्मा जी ने तुरंत पहचान लिया कि यह मृग नहीं, बल्कि भगवान आशुतोष हैं। तुरंत ही ब्रह्मा जी उछल पड़े और मृग के सींग को पकड़ने की कोशिश करने लगे। इससे मृग के सींग के 3 टुकड़े हो गए।

उसी सिंह का एक पवित्र टुकड़ा टूटकर यहां पर भी गिर गया जिसकी वजह से यहां महारुद्र जी का जन्म हुआ जो आगे चलकर पशुपतिनाथ जी के नाम से प्रसिद्ध हुए भगवान शिव जी की इच्छा के अनुसार, भगवान विष्णु ने भगवान शिव को मोक्ष देने के बाद, नागमती के ऊंचे टीले पर एक लिंग स्थापित किया, जो पशुपति के रूप में प्रसिद्ध हुआ।

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