नमस्कार पाठकों, आज इस लेख के माध्यम से हम आप सभी के लिए पापांकुशा एकादशी व्रत कथा / Papankusha Ekadashi Vrat Katha PDF लेकर आए हैं। हिंदू धर्म के अंतर्गत एकादशी व्रत को व्रत का राजा कहा जाता है ऐसा इसलिए कहा जाता है क्योंकि भगवान विष्णु की सच्चे दिल से आराधना कर वर्ष में आने वाले सभी एकादशी व्रत को रखता है उस पर भगवान विष्णु की सदैव कृपा बनी रहती है। उसे और उसे उसके परिवार को कभी समस्या का सामना नहीं करना पड़ता। अश्विनी शुक्ल पक्ष को पड़ने वाली एकादशी को पंपकोष एकादशी के नाम से जाना जाता है।
इस एकादशी के दिन तुलसी को जल नहीं देना चाहिए क्योंकि ऐसा माना जाता है कि मां तुलसी स्वयं भी एकादशी का व्रत रखती है। जिस वजह से जल देने से व्रत में विरोध उत्पन्न होता है। आप Papankusha Ekadashi Katha in Hindi इस पोस्ट में आसानी से पढ़ सकते हैं और पोस्ट के लास्ट में डाउनलोड पीडीऍफ़ बटन पर क्लिक करके व्रत कथा की पीडीएफ डाउनलोड कर सकते हैं।
पापांकुशा एकादशी व्रत कथा | Papankusha Ekadashi Vrat Katha PDF in Hindi – सारांश
PDF Name | पापांकुशा एकादशी व्रत कथा / Papankusha Ekadashi Vrat Katha PDF |
Pages | 1 |
Language | Hindi |
Our Website | pdfinbox.com |
Category | Religion & Spirituality |
Source | pdfinbox.com |
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पापांकुशा एकादशी की व्रत कथा | Papankusha Ekadashi ki Vrat Katha
पौराणिक कथा के अनुसार प्राचीन समय में विंध्य पर्वत पर क्रोधन नामक एक क्रूर शिकारी रहता था। क्रोधन ने अपना पूरा जीवन हिंसा, शराब आदि गलत कामों में बिता दिया। जब उसके जीवन का अंत समय आया तो यमराज ने क्रोधन को लाने के लिए दूत भेजे। यम के दूतों ने क्रोधन को बताया कि कल उसके जीवन का अंतिम दिन होगा।
मृत्यु के भय से क्रोधन महर्षि अंगिरा की शरण में गया। क्रोधन की हालत देखकर महर्षि को उस पर दया आ गई और उन्होंने उसे पापाकुंशा एकादशी का व्रत करने को कहा। इस व्रत को करने से क्रोधन के सभी पाप नष्ट हो गए और भगवान की कृपा से उसे मोक्ष की प्राप्ति हुई।
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