कालभैरव अष्टकम | Kalabhairava Ashtakam in Hindi PDF

नमस्कार पाठकों, इस लेख के माध्यम से आप कालभैरव अष्टकम / Kalabhairava Ashtakam in Hindi PDF प्राप्त कर सकते हैं। काल भैरव अष्टम भगवान काल भैरव जी को समर्पित है यह एक बहुत ही प्रसिद्ध एवं महत्वपूर्ण भजन है काल भैरव जी को हिंदू देवी देवताओं में एक प्रमुख स्थान प्राप्त है दोस्तों जैसा कि आप जानते हैं कि काल भैरव जी भगवान शिव की शक्तिशाली अवतार है भगवान भैरव जी को सबसे बड़ा लोक देवता भी कहा जाता है।

हम प्राचीन समय की बात करते हैं तो भैरव जी के मंदिर को प्रत्येक नगर में बनाया जाता था क्योंकि इन्हें वहां का स्थानीय देवता माना जाता था और प्राचीन मान्यताओं की यह माना जाता है कि भगवान भैरव सभी नगरों और शहरों को नकारात्मक शक्तियों से बचाते हैं इस लेख के माध्यम से आप कालभैरवाष्टकम् को देखकर इसका जाप कर सकते हैं और भगवान भैरव जी को प्रसन्न कर सकते हैं और इसकी पीडीएफ डाउनलोड करने के लिए नीचे दिए गए बटन पर क्लिक करें।

 

कालभैरव अष्टकम | Kalabhairava Ashtakam in Hindi PDF – सारांश

PDF Name कालभैरव अष्टकम | Kalabhairava Ashtakam in Hindi PDF
Pages 2
Language Hindi
Source pdfinbox.com
Category Religion & Spirituality
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काल भैरव अष्टकम स्तोत्रम | Kaal Bhairava Ashtakam Stotram PDF

 

|| कालभैरव अष्टकम ||

देवराज सेव्यमान पावनांघ्रि पङ्कजं
व्यालयज्ञसूत्रमिन्दुशेखरं कृपाकरम् ।
नारदादि योगिवृन्द वन्दितं दिगंबरं
काशिकापुराधिनाथ कालभैरवं भजे ॥ १॥

भानुकोटि भास्वरं भवाब्धितारकं परं
नीलकण्ठमीप्सितार्थदायकं त्रिलोचनम् ।
कालकाल मंबुजाक्ष मक्षशूल मक्षरं
काशिकापुराधिना थकालभैरवं भजे ॥ २॥

शूलटंक पाशदण्ड पाणिमादि कारणं
श्यामकायमादिदेवमक्षरं निरामयम् ।
भीमविक्रमं प्रभुं विचित्र ताण्डव प्रियं
काशिकापुराधिनाथ कालभैरवं भजे ॥ ३॥

भुक्ति मुक्ति दायकं प्रशस्तचारु विग्रहं
भक्तवत्सलं स्थितं समस्तलोक विग्रहम् ।
विनिक्वणन्मनोज्ञ हेम किङ्किणी लसत्कटिं
काशिकापुराधिनाथ कालभैरवं भजे॥ ४॥

धर्मसेतु पालकं त्वधर्ममार्ग नाशनं
कर्मपाश मोचकं सुशर्म धायकं विभुम् ।
स्वर्णवर्ण शेषपाश शोभितांग मण्डलं
काशिकापुराधिनाथ कालभैरवं भजे ॥ ५॥

रत्न पादुका प्रभाभिराम पादयुग्मकं
नित्य मद्वितीयमिष्ट दैवतं निरंजनम् ।
मृत्युदर्प नाशनं करालदंष्ट्र मोक्षणं
काशिकापुराधिनाथ कालभैरवं भजे ॥ ६॥

अट्टहास भिन्न पद्मजाण्डकोश संततिं
दृष्टिपात्त नष्टपाप जालमुग्र शासनम् ।
अष्टसिद्धि दायकं कपालमालिका धरं
काशिकापुराधिनाथ कालभैरवं भजे ॥ ७॥

भूतसंघ नायकं विशालकीर्ति दायकं
काशिवास लोकपुण्यपाप शोधकं विभुम् ।
नीतिमार्ग कोविदं पुरातनं जगत्पतिं
काशिकापुराधिनाथ कालभैरवं भजे ॥ ८॥

॥ फल श्रुति॥

कालभैरवाष्टकं पठंति ये मनोहरं
ज्ञानमुक्ति साधनं विचित्र पुण्य वर्धनम् ।
शोकमोह दैन्यलोभ कोपताप नाशनं
प्रयान्ति कालभैरवांघ्रिसन्निधिं नरा ध्रुवम् ॥

॥इति कालभैरवाष्टकम् संपूर्णम् ॥

 

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