नमस्कार पाठकों, आज इस लेख के माध्यम से हम आप सभी के लिए करवा चौथ व्रत कथा / Karwa Chauth Vrat Katha PDF लेकर आए हैं। हिंदू धर्म के अंतर्गत करवा चौथ के व्रत को बहुत ही अधिक शक्तिशाली माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि जो भी सुहागन महिला इस दिन व्रत रखकर पूर्ण विधि विधान से पूजा करती है उसके पति की आयु लंबी हो जाती है। वहीं पर बहुत सी कुंवारी कन्याएं इस व्रत को रखकर एक अच्छे पति की प्राप्ति कर सकती हैं।
इस व्रत के दिन निर्जला रहकर तारों को देखते हुए व्रत खोला जाता है। आप इस दिन माता करवा की पूजा कर भविष्य में आने वाले संकटों से अपने पति की रक्षा कर उनकी आयु में वृद्धि कर सकती हैं। आप इस पोस्ट के माध्यम से करवा चौथ की कथा / Karwa Chauth ki Katha को बिना किसी परेशानी की पढ़ सकते हैं। व्रत कथा की पीडीएफ डाउनलोड करने के लिए पोस्ट के लास्ट में दिए गए डाउनलोड पीडीएफ बटन पर क्लिक करें।

करवा चौथ व्रत कथा | Karwa Chauth Vrat Katha PDF in Hindi – सारांश
PDF Name | करवा चौथ व्रत कथा / Karwa Chauth Vrat Katha PDF |
Pages | 1 |
Language | Hindi |
Our Website | pdfinbox.com |
Category | Religion & Spirituality |
Source | pdfinbox.com |
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करवा चौथ की कहानी / Karwa Chauth ki kahani
करवा चौथ की कथा है कि देवी करवा अपने पति के साथ तुंगभद्रा नदी के तट पर रहती थी। एक दिन जब करवा का पति नदी में स्नान करने गया तो एक मगरमच्छ ने उसका पैर पकड़ लिया और उसे नदी में खींचने लगा। मौत को नजदीक आता देख करवा का पति करवा को पुकारने लगा। करवा दौड़कर नदी की ओर गई तो उसने मगरमच्छ को अपने पति को मारते देखा। करवा ने तुरंत एक धागा लिया और मगरमच्छ को पेड़ से बांध दिया। करवा के सतीत्व के कारण मगरमच्छ को कच्चे धागे से बांध दिया गया जिससे वह हिल नहीं सका।
करवा के पति और मगरमच्छ की जान खतरे में थी। करवा ने यमराज को बुलाया और उनसे अपने पति के प्राण बचाने और मगरमच्छ को मारने के लिए कहा। यमराज कहते हैं मैं ऐसा नहीं कर सकता क्योंकि मगरमच्छ का अभी कुछ जीवन शेष है और तुम्हारे पति का जीवन समाप्त हो चुका है। क्रोधित होकर करवा ने यमराज से कहा, यदि आप ऐसा नहीं करेंगे तो मैं आपको श्राप दे दूंगी। सती के श्राप से भयभीत यमराज ने तुरंत मगरमच्छ को यमलोक भेज दिया और करवा के पति को जीवनदान दिया। इसलिए करवा चौथ व्रत के दौरान विवाहित महिलाएं करवा माता से प्रार्थना करती हैं कि हे करवा माता, जैसे आपने अपने पति को मृत्यु के चंगुल से वापस लाया है वैसे ही मेरे पति की भी रक्षा करना।
माता करवा की तरह सावित्री ने भी अपने पति को बरगद के पेड़ के नीचे धागे से लपेटा था। यमराज प्रेम और विश्वास के धागे में लिपटे सावित्री के पति के प्राणों को अपने साथ नहीं ले जा सके। यमराज को सावित्री के पति के प्राण लौटाने पड़े और उन्होंने सावित्री को वरदान दिया कि उसका पति हमेशा उसके साथ रहेगा और दोनों लंबे समय तक साथ रहेंगे।
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