जय अम्बे गौरी आरती | Jai Ambe Gauri Aarti PDF in Hindi

नमस्कार मित्रों, आज इस लेख के माध्यम से हम आप सभी के लिए जय अम्बे गौरी आरती / Jai Ambe Gauri Aarti PDF in Hindi में प्रदान करने जा रहे हैं। जय अम्बे गौरी आरती एक बहुत ही पुरानी आरती है और इस आरती का जाप पीढ़ी दर पीढ़ी किया जा रहा है ऐसा माना जाता है कि जो भी व्यक्ति माताजी का भक्त है और वह माता को प्रसन्न करना चाहता है तो उसे आरती का जाप अवश्य ही करना चाहिए इस आरती का जाप करने से माता को प्रसन्न किया जा सकता है और जीवन में खुशहाली, समृद्धि की कामना की जा सकती है।

आज हम आप सभी के लिए जय अम्बे गौरी आरती लेकर आए हैं यहां से आसानी से आरती का जाप कर सकते हैं तथा बिना किसी परेशानी की आरती की पीडीएफ डाउनलोड कर सकते हैं इसी प्रकार की अन्य धार्मिक पोस्ट या नॉलेज बढ़ाने के लिए किसी भी प्रकार की पोस्ट देखने के लिए क्लिक करें

जय अम्बे गौरी आरती | Jai Ambe Gauri Aarti PDF in Hindi – सारांश

PDF Name जय अम्बे गौरी आरती | Jai Ambe Gauri Aarti PDF in Hindi
Pages 3
Language Hindi
Category Religion & Spirituality
Source pdfinbox.com
Download PDF Click Here

Ambe Gauri ki Aarti Lyrics | Om Jai Ambe Gauri Aarti

जय अम्बे गौरी,मैया जय श्यामा गौरी।

तुमको निशिदिन ध्यावत,हरि ब्रह्मा शिवरी॥

जय अम्बे गौरी

माँग सिन्दूर विराजत,टीको मृगमद को।

उज्जवल से दो‌उ नैना,चन्द्रवदन नीको॥

जय अम्बे गौरी

कनक समान कलेवर,रक्ताम्बर राजै।

रक्तपुष्प गल माला,कण्ठन पर साजै॥

जय अम्बे गौरी

केहरि वाहन राजत,खड्ग खप्परधारी।

सुर-नर-मुनि-जन सेवत,तिनके दुखहारी॥

जय अम्बे गौरी

कानन कुण्डल शोभित,नासाग्रे मोती।

कोटिक चन्द्र दिवाकर,सम राजत ज्योति॥

जय अम्बे गौरी

शुम्भ-निशुम्भ बिदारे,महिषासुर घाती।

धूम्र विलोचन नैना,निशिदिन मदमाती॥

जय अम्बे गौरी

चण्ड-मुण्ड संहारे,शोणित बीज हरे।

मधु-कैटभ दो‌उ मारे,सुर भयहीन करे॥

जय अम्बे गौरी

ब्रहमाणी रुद्राणीतुम कमला रानी।

आगम-निगम-बखानी,तुम शिव पटरानी॥

जय अम्बे गौरी

चौंसठ योगिनी मंगल गावत,नृत्य करत भैरूँ।

बाजत ताल मृदंगा,अरु बाजत डमरु॥

जय अम्बे गौरी

तुम ही जग की माता,तुम ही हो भरता।

भक्‍तन की दु:ख हरता,सुख सम्पत्ति करता॥

जय अम्बे गौरी

भुजा चार अति शोभित,वर-मुद्रा धारी।

मनवान्छित फल पावत,सेवत नर-नारी॥

जय अम्बे गौरी

कन्चन थाल विराजत,अगर कपूर बाती।

श्रीमालकेतु में राजत,कोटि रतन ज्योति॥

जय अम्बे गौरी

श्री अम्बेजी की आरती,जो को‌ई नर गावै।

कहत शिवानन्द स्वामी,सुख सम्पत्ति पावै॥

जय अम्बे गौरी

आप नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करके जय अम्बे गौरी आरती / Jai Ambe Gauri Aarti PDF in Hindi डाउनलोड कर सकते हैं।

Download PDF


Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *