बुधवार व्रत कथा | Budhvar Vrat Katha in Hindi PDF

नमस्कार पाठकों, इस लेख के माध्यम से आप बुधवार व्रत कथा / Budhvar Vrat Katha in Hindi PDF प्राप्त कर सकते हैं। हिंदू धर्म के अंतर्गत बुधवार के दिन भगवान गणेश जी की पूजा की जाती है और बुधवार के दिन बुद्धदेव जी की पूजा का भी प्रावधान है ऐसा माना जाता है कि जो भी व्यक्ति सच्चे दिल से भगवान को याद करता है और उनकी पूजा पूर्ण श्रद्धा व आस्था से करता है उस पर कभी भी किसी भी प्रकार का संकट नहीं आता और वह सदैव एक सुखी जीवन जीता है।

यदि आप अपने जीवन में किसी प्रकार की समस्या का सामना कर रहे हैं या आपकी कुंडली में बुध ग्रह अच्छा नहीं है तो आपके लिए यह व्रत कथा बहुत ही महत्वपूर्ण है। इस लेख के माध्यम से आप बिना किसी परेशानी के इस कथा को पढ़ सकते हैं। साथ ही नीचे दिए गए बटन पर क्लिक करके इसकी पीडीएफ डाउनलोड कर सकते हैं।

 

बुधवार व्रत कथा | Budhvar Vrat Katha in Hindi PDF – सारांश

PDF Name बुधवार व्रत कथा | Budhvar Vrat Katha in Hindi PDF
Pages 2
Language Hindi
Source pdfinbox.com
Category Religion & Spirituality
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बुधवार व्रत की कथा PDF | Budhvar Vrat Ki Katha in Hindi

समतापुर शहर में मधुसूदन नाम का व्यक्ति रहता था। वह बहुत अमीर था। मधुसूदन का विवाह बलरामपुर नगर की एक सुंदर और सदाचारी लड़की संगीता से हुआ था। एक बार बुधवार के दिन मधुसूदन अपनी पत्नी को लेने के लिए बलरामपुर जाता है।

मधुसूदन ने पत्नी के माता-पिता से संगीता को विदा करने के लिए कहा। माता-पिता ने कहा- ‘बेटा, आज बुधवार है। बुधवार के दिन किसी भी शुभ कार्य के लिए यात्रा न करें। लेकिन मधुसूदन नहीं माना। उन्होंने ऐसी शुभ-अशुभ बातों पर विश्वास न करने की बात कही। काफी जिद्द करने के बाद संगीता के माता-पिता दोनों को विदा करने पर विवश हुए।

दोनों ने बैलगाड़ी से यात्रा प्रारंभ की। दो कोस का सफर करने के बाद उनकी कार का एक पहिया खराब हो गया। वहां से दोनों ने पैदल ही अपना सफर शुरू किया। रास्ते में संगीता को प्यास लगी। मधुसूदन ने उसे एक पेड़ के नीचे बिठाया और पानी लेने चला गया।

कुछ देर बाद जब मधुसूदन कहीं से पानी लेकर लौटा तो उसे बड़ा आश्चर्य हुआ क्योंकि उसकी पत्नी के पास उसका ही रूप-रंग का दूसरा व्यक्ति बैठा था। जब उसने मधुसूदन को देखा तो संगीता भी हैरान रह गई उस समय वह दोनों में अंतर नहीं कर पाई।

मधुसूदन ने वहां बैठे हुए व्यक्ति से पूछा कि तुम यहां पर मेरी पत्नी के पास क्यों बैठे हुए हो? मधुसूदन की बात सुनकर वह व्यक्ति बोला- ‘अरे भाई, यह मेरी पत्नी संगीता है। मैं अपनी पत्नी को ससुराल से विदा करके ले आया। लेकिन तुम कौन होते हो मुझसे ऐसा सवाल पूछने वाले?

मधुसूदन लगभग चिल्लाया, ‘तुम चोर हो या ठग। यह मेरी पत्नी संगीता है। मैं उसे पेड़ के नीचे बैठाकर पानी लेने गया। इस पर वह व्यक्ति बोला- ‘अरे भाई! आप झूठ बोल रहे हैं। संगीता को प्यास लगी तो मैं पानी लेने गया था। मैंने पानी भी लाकर अपनी पत्नी को पीने को दिया है। अब तुम चुपचाप यहाँ से चलते रहो। नहीं तो मैं एक कांस्टेबल को बुलाऊंगा और तुम्हें गिरफ्तार करवा दूंगा।

दोनों आपस में लड़ने लगे। उन्हें लड़ते देख वहां काफी लोग जमा हो गए। नगर के कुछ सिपाही भी वहाँ आ पहुँचे। सिपाहियों ने दोनों को पकड़ लिया और राजा के पास ले गए। सारा किस्सा सुनकर राजा भी कोई निर्णय नहीं ले सका। उनमें से संगीता भी अपने असली पति को पहचान नहीं पा रही थी।

राजा ने दोनों को कारागार में डालने को कहा। असली मधुसूदन राजा के इस फैसले से घबरा गया। तभी आकाशवाणी हुई- ‘मधुसूदन! तुमने संगीता के माता-पिता की बात नहीं मानी और बुधवार को अपनी ससुराल छोड़ दी। यह सब भगवान बुद्ध के कोप के कारण हो रहा है।

मधुसूदन ने भगवान बुद्धदेव से प्रार्थना की कि ‘हे भगवान बुधदेव कृपया मुझे क्षमा करें। मैंने बहुत बड़ी गलती की है। भविष्य में मैं कभी भी बुधवार के दिन यात्रा नहीं करूंगा और सदैव बुधवार के दिन आपका व्रत करूंगा।

मधुसूदन की प्रार्थना के बाद भगवान बुद्ध ने उन्हें क्षमा कर दिया। फिर दूसरा व्यक्ति राजा के सामने से ओझल हो गया। यह चमत्कार देखकर राजा और अन्य सभी लोग हैरान रह गए भगवान बुद्ध की होने वाली इस कृपा से राजा के द्वारा मधुसूदन और उसकी पत्नी को आदरपूर्वक विदा किया गया।

कुछ दूर चलने पर रास्ते में उन्हें एक बैलगाड़ी मिली। बैलगाड़ी का टूटा पहिया भी जुड़ा हुआ था। दोनों उसमें बैठकर समतापुर की ओर चल पड़े। मधुसूदन और उसकी पत्नी संगीता दोनों बुधवार का व्रत करके सुखपूर्वक रहने लगे।

भगवान बुद्धदेव की कृपा से उनके घर में धन की वर्षा होने लगी। जल्द ही उनका जीवन खुशियों से भर गया। बुधवार का व्रत करने से स्त्री-पुरुष के जीवन में सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। और व्रती को बुधवार के दिन किसी जरूरी काम से यात्रा करने पर कोई परेशानी नहीं होती है।

 

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