ब्रह्मचारिणी माता की कथा PDF | Brahmacharini Mata Vrat Katha in Hindi PDF

नमस्कार मित्रों, आज इस लेख के माध्यम से हम आप सभी के लिए ब्रह्मचारिणी माता की कथा PDF | Brahmacharini Mata Vrat Katha in Hindi PDF में प्रदान करने जा रहे हैं। नवरात्रों के दूसरे दिन माता ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है और सभी भक्तों पूर्ण रूप से अपनी आस्था के साथ माता की पूजा करते हैं यहां पर ब्रह्मा का अर्थ तपस्या और चारणी का अर्थ आचरण करने वाली माता ब्रह्मचारिणी ने भगवान शिव को पति बनाने के लिए घोर तपस्या की थी तपस्या के पश्चात माता को तपश्चारिणी अर्थात ब्रह्मचारिणी के नाम से जाना जाने लगा।

ऐसा माना जाता है कि माता ब्रह्मचारिणी की दिल से पूजा करने पर सभी कष्ट दूर हो जाते हैं और सुकून की प्राप्ति होती है आज हम आप सभी के लिए माता की कथा लेकर आए हैं साथ ही नवरात्रों की सभी देवियों की कथा और आरती देखने के लिए क्लिक करें


ब्रह्मचारिणी माता की कथा PDF | Brahmacharini Mata Vrat Katha in Hindi PDF – सारांश

PDF Name ब्रह्मचारिणी माता की कथा PDF | Brahmacharini Mata Vrat Katha in Hindi PDF
Pages 1
Language Hindi
Category Religion & Spirituality
Source pdfinbox.com
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नवरात्रि दूसरा दिन की माता की कथा | माता ब्रह्मचारिणी की कथा

यह देवी अपने पिछले जन्म में हिमालय के घर कन्या रूप में उत्पन्न हुई थी और नारदजी की सलाह से भगवान शंकर को पति रूप में प्राप्त करने के लिए घोर तपस्या की थी। इस कठिन तपस्या के कारण इनका नाम तपश्चारिणी अर्थात ब्रह्मचारिणी रखा गया। एक हजार वर्ष तक उन्होंने केवल फल-फूल खाकर गुजारे और सौ वर्ष तक केवल जमीन पर रहकर साग-सब्जी खाकर गुजारा किया।

उन्होंने कुछ दिनों तक कठोर उपवास रखा और वर्षा तथा धूप में खुले आकाश के नीचे घोर कष्ट सहे। तीन हजार वर्षों तक उसने टूटे हुए बिल्व पत्र खाए और भगवान शंकर की पूजा की। इसके बाद उन्होंने सूखे बिल्व पत्र खाना भी बंद कर दिया। कई हजार वर्षों तक निर्जल रहकर व्रत-उपवास करके वे तपस्या करती रहीं। पत्ते खाना छोड़ देने के कारण इनका नाम अपर्णा पड़ा।

कठिन तपस्या के कारण देवी का शरीर बिल्कुल क्षीण हो गया। देवताओं, ऋषियों, सिद्धगणों, मुनियों सभी ने ब्रह्मचारिणी की तपस्या को एक अभूतपूर्व पुण्य कार्य बताया, प्रशंसा की और कहा, “हे देवी आज तक कोई ऐसी कठोर तपस्या नहीं कर पाया यह केवल आपने किया है आपकी हर एक मनोकामना पूरी होगी और भगवान शिव का चंद्रमौली रूप आपको पति के रूप में प्राप्त होगा।अब तपस्या छोड़ो और घर लौट जाओ।शीघ्र ही तुम्हारे पिता तुम्हें बुलाने आ रहे हैं।

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