नमस्कार पाठकों, इस लेख के माध्यम से आप अंगारकी चतुर्थी व्रत कथा / Angarki Chaturthi Vrat Katha PDF in Hindi प्राप्त कर सकते हैं। हर महीने की दोनों पक्षों की चतुर्थी को भगवान गणेश की पूजा बड़े धूमधाम से की जाती है हिंदू धर्म के अंतर्गत भगवान गणेश की पूजा को सर्वप्रथम महत्व प्राप्त है और पुराणों के अनुसार हिंदू धर्म में सबसे पहले श्री गणेश भगवान की पूजा ही करनी चाहिए आज इस पोस्ट के माध्यम से हम आप सभी को अंगारकी संकष्टी चतुर्थी व्रत कथा प्रदान करने जा रहे हैं जहां से आप इसे संबंधित सभी जानकारी प्राप्त कर सकते हैं
यह व्रत कथा बहुत ही महत्वपूर्ण मानी जाती है यह मुख्य रूप से भगवान श्री गणेश से संबंधित है और ऐसा माना जाता है कि यदि आप अपने जीवन में किसी प्रकार की समस्या का सामना कर रहे हैं और तो आपको इस कथा का जाप अवश्य ही करना चाहिए ऐसा करने से आपके जीवन के सभी कष्ट दूर हो जाएंगे और आप पर भगवान गणेश की कृपा छाया बनी रहेगी आज आप यहां से व्रत कथा को पढ़ सकते हैं साथ ही नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करके अंगारकी चतुर्थी कथा पीडीएफ फॉर्मेट में भी देख सकते हैं।
अंगारकी चतुर्थी व्रत कथा | Angarki Chaturthi Vrat Katha PDF in Hindi – सारांश
PDF Name | अंगारकी चतुर्थी व्रत कथा | Angarki Chaturthi Vrat Katha PDF in Hindi |
Pages | 1 |
Language | Hindi |
Source | pdfinbox.com |
Category | Religion & Spirituality |
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अंगारकी संकष्टी चतुर्थी व्रत कथा | Angarki Sankashti Chaturthi Vrat Katha
पौराणिक कथा के अनुसार ऋषि भारद्वाज और देवी पृथ्वी के पुत्र का नाम मंगल था। मंगल ने अपने पिता की अनुमति से मात्र सात वर्ष की आयु में ही भगवान गणेश की कठोर तपस्या शुरू कर दी थी। उस बालक ने भगवान गणेश को प्रसन्न करने के लिए वर्षों तक घोर तपस्या की, उपवास किया। उनकी भक्ति और भक्ति को देखकर भगवान गणेश प्रसन्न हुए और कृष्ण पक्ष की चतुर्थी के दिन मंगल पर प्रकट हुए।
भगवान गणेश पृथ्वी के पुत्र के सामने प्रकट हुए और उनसे वरदान मांगने को कहा। पृथ्वीपुत्र ने भगवान गणेश से हमेशा उनकी शरण में रहने और स्वर्ग में देवताओं के बराबर पद पाने की इच्छा व्यक्त की। तब भगवान गणेश ने उनकी मनोकामना पूरी होने का आशीर्वाद दिया और कहा कि तुम्हें स्वर्ग में देवताओं जैसा सम्मान मिलेगा। आप मंगल और अंगारक नामों से विख्यात होंगे।
मंगलवार को आने वाली संकष्टी चतुर्थी आपके नाम अर्थात अंगारकी चतुर्थी से जानी जाएगी और इसका व्रत और पूजन करने से साधक को वर्ष की सभी संकष्टी चतुर्थी के व्रत का पुण्य लाभ प्राप्त होगा। इतना कहकर भगवान गणेश अंतर्ध्यान हो गए। संकष्टी चतुर्थी का यह व्रत अत्यंत दुर्लभ है और इसकी महिमा अपार है। इस व्रत को करने से व्यक्ति की मनोकामना पूरी होती है। भगवान गणेश की कृपा से उन्हें सुख-शांति, धन-समृद्धि और स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है।
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