कूष्माण्डा माता कथा | Kushmanda Mata Vrat Katha in Hindi PDF

नमस्कार मित्रों, आज इस लेख के माध्यम से हम आप सभी के लिए कूष्माण्डा माता कथा | Kushmanda Mata Vrat Katha in Hindi PDF में प्रदान करने जा रहे हैं। नवरात्रों के चौथे दिन कुष्मांडा देवी की पूजा की जाती है और ऐसा माना जाता है कि जब ब्रह्मांड का निर्माण नहीं हुआ था और चारों तरफ अंधेरा ही अंधेरा था तो इन्होंने संसार अर्थात ब्रह्मांड की रचना की थी। माता की आठ भुजाएँ हैं इसलिए माता को अष्टभुजा नाम से भी जाना जाता है। इनके सातों हाथों में धनुष, बाण, कमल-पुष्प, इत्यादि विद्यमान रहते हैं और आठवें हाथ में जप माला रहती है।

माता का मुख्य स्थान सूर्य लोक के अंदर लोक में है सूर्य लोक में रहने की शक्ति केवल कुष्मांडा माता में है इसलिए इनमें तीव्र की शक्ति बहुत ज्यादा है। ऐसा माना जाता है कि संसार के सभी जीवो में इन्हीं का तेज विद्यमान है देवी का मुख्य वाहन सिंह यानी शेर है हम आज आप सभी के लिए माता की कथा लेकर आए हैं। आप इसका आसानी से पढ़ सकते हैं साथ इसकी पीडीएफ भी डाउनलोड कर सकते हैं।

कूष्माण्डा माता कथा | Kushmanda Mata Vrat Katha in Hindi PDF – सारांश

PDF Name कूष्माण्डा माता कथा | Kushmanda Mata Vrat Katha in Hindi PDF
Pages 3
Language Hindi
Category Religion & Spirituality
Source pdfinbox.com
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कूष्माण्डा माता कथा | Kushmanda Mata Vrat Katha

कुष्मांडा देवी की आठ भुजाएं हैं, इसलिए इन्हें अष्टभुजा कहा जाता है। इनके सात हाथों में क्रमश: कमंडल, धनुष, बाण, कमल-पुष्प, अमृत से भरा कलश, चक्र और गदा धारण की जाती है। आठवें हाथ में सभी सिद्धियों और निधियों को देने वाली जप माला है। इस देवी का वाहन सिंह है और इन्हें कुम्हड़ा की बलि प्रिय है।

संस्कृति में एक कुण्ड को कुष्माण्ड कहा जाता है, इसलिए इस देवी को कुष्माण्डा कहा जाता है। इस देवी का वास सौरमंडल के भीतर लोक में है। सूर्यलोक में रहने की क्षमता केवल इन्हीं में है। इसलिए उनके शरीर का तेज और प्रकाश सूर्य के समान देदीप्यमान है। उनके तेज से दसों दिशाएं आलोकित हैं। उनकी महिमा ब्रह्मांड की सभी वस्तुओं और प्राणियों में व्याप्त है।

नवरात्रि के चौथे दिन शांत और पवित्र मन से इस देवी की पूजा करनी चाहिए। इससे भक्त के रोग और शोक का नाश होता है और उसे आयु, यश, बल और आरोग्य की प्राप्ति होती है। यह देवी बहुत ही कम सेवा और भक्ति से प्रसन्न होकर कृपा करती हैं। जो सच्चे मन से पूजा करता है वह आसानी से परम पद को प्राप्त कर लेता है। विधि-विधान से पूजा करने से भक्त को अल्प समय में ही सूक्ष्म कृपा का अनुभव होने लगता है।
यह देवी आधे-अधूरे रोगों से मुक्त करती हैं और उन्हें सुख-समृद्धि और उन्नति प्रदान करती हैं। अंततः, भक्तों को इस देवी की पूजा करने के लिए हमेशा तैयार रहना चाहिए।

कूष्माण्डा देवी पूजा विधि | Kushmunda Devi Pooja Vidhi

  • सबसे पहले स्नान करें और साफ सफाई का मुख्य ध्यान रखें
  • उसके बाद जो आपने कलश स्थापित कर रखा है उस पर देवी देवताओं की पूजा करें
  • इसके पश्चात देवी कुष्मांडा की पूजा करें
  • पूजा प्रारंभ करने से पहले हाथों में फूल लेकर माता के मंत्रों का जाप करें
  • स मंत्र ‘सुरासम्पूर्णकलशं रूधिराप्लुतमेव च।
  • दधाना हस्तपद्माभ्यां कूष्‍मांडा शुभदास्तु मे।’ का ध्यान करें।
  • अंत में उपासना मंत्र तथा माता रानी की आरती अवश्य करें
  • साथ ही माता रानी से क्षमा याचना करना ना भूले और माता रानी से आशीर्वाद ले


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