नमस्कार पाठकों, इस लेख के माध्यम से आप सकट चौथ व्रत कथा / Sakat Chauth Vrat Katha PDF प्राप्त कर सकते हैं। माघ महीने के कृष्ण पक्ष को चतुर्थी के दिन सकट चौथ का व्रत रखा जाता है। यह व्रत मुख्य रूप से माता के द्वारा अपनी संतान की आयु के लिए निर्जल रखा जाता है। इस व्रत को रखने से संतान के जीवन में आने वाले सभी समस्याएं नष्ट हो जाती हैं। और जीवन में खुशहाली आती है। हिंदू धर्म के अंतर्गत इस दिन भगवान श्री गणेश जी की पूजा पूर्ण विधि-विधान से की जाती है।
इस व्रत को एक अन्य नाम तिलकुटा चौथ के नाम से भी जाना जाता है इस दिन शाम को चंद्रमा को अधार्य देकर व्रत का पारण किया जाता है। इस व्रत को रखकर आप भीअपनी संतान के जीवन से संपूर्ण दुखो का नष्ट कर सकते हैं और भगवान गणेश का आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं। इस पोस्ट के माध्यम से Sakat Chauth ki kahani / सकट चौथ की कहानी पढ़ सकते हैं। और व्रत कथा को पीडीएफ फॉर्मेट में डाउनलोड करने के लिए नीचे दिए गए डाउनलोड पीडीएफ बटन पर क्लिक करें।
सकट चौथ व्रत कथा | Sakat Chauth Vrat Katha PDF – सारांश
PDF Name | सकट चौथ व्रत कथा | Sakat Chauth Vrat Katha PDF |
Pages | 1 |
Language | Hindi |
Our Website | pdfinbox.com |
Category | Religion & Spirituality |
Source | pdfinbox.com |
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Sakat Chauth Vrat Katha in Hindi
पौराणिक मान्यता के अनुसार, एक बार देवों के देव महादेव ने भगवान शिव से कार्तिकेय और भगवान गणेश से पूछा कि उनमें से कौन देवताओं के कष्ट दूर कर सकता है। तब कार्तिकेय और गणेशजी दोनों ने स्वयं को इस कार्य के लिए सक्षम बताया। इस पर भगवान शिव ने कहा कि तुम दोनों में से जो भी पृथ्वी की परिक्रमा करके पहले आएगा वही देवताओं की सहायता के लिए जाएगा। यह वचन सुनकर कार्तिकेय अपने वाहन मोर पर बैठकर पृथ्वी की परिक्रमा करने निकल पड़े। लेकिन गणेश जी इस सोच में डूब गए कि अगर वह चूहे पर सवार होकर पूरी पृथ्वी की परिक्रमा करेंगे तो इस कार्य को पूरा करने में उन्हें बहुत समय लगेगा। तभी उसे एक उपाय सूझा।
वह अपने स्थान से उठा और अपने माता-पिता की सात बार परिक्रमा करके वापस बैठ गया। परिक्रमा करके लौटने पर कार्तिकेय ने स्वयं को विजयी घोषित किया। शिवजी ने गणेशजी से पृथ्वी की परिक्रमा न करने का कारण पूछा। तब गणेश जी ने कहा- ‘माता-पिता के चरणों में सारा संसार है।’ यह सुनकर भगवान शिव ने गणेशजी को देवताओं के कष्ट दूर करने का आदेश दिया और गणेशजी को आशीर्वाद दिया कि जो भी चतुर्थी के दिन श्रद्धापूर्वक तुम्हारी पूजा करेगा और रात्रि में चंद्रमा को अर्घ्य देगा, उसके सभी कष्ट दूर हो जाएंगे।
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