नमस्कार पाठकों, इस लेख के माध्यम से आप विश्वकर्मा जी की आरती / Vishwakarma Aarti PDF in Hindi प्राप्त कर सकते हैं। हिंदू धर्म की पुरानी कथा कथा तथा मान्यताओं के अनुसार विश्वकर्मा जी का जन्म अश्विन कृष्ण पक्ष हुआ था श्री विश्वकर्मा जी को प्रणाम पुराणों में यंत्रों का देवता बताया गया है। और इनकी पूजा को अन्य भी बहुत से लोग करते हैं यदि आप विश्वकर्मा जी की आरती ढूंढ रही है तो आप यहां से उसे आसानी से पढ़ सकते हैं।
विश्वकर्मा जी की आरती व पूजा विधि विधान से करने से करने से व्यवसाय में निश्चित ही बढ़ोतरी होती है और अन्य वर्षो की तुलना में अधिकतम लाभ होता है। ऐसा माना जाता है जो भी व्यक्ति सच्चे दिल से विश्वकर्मा जी की पूजा करता है उसे किसी प्रकार के व्यापार में कभी हानि का सामना नहीं करना पड़ता। यहां से आप विश्वकर्मा जी की आरती / Vishwakarma Ji Ki Aarti को निरंतर पढ़कर उसका जाप कर सकते है आप निचे दिए गए लिंक पर क्लिक करके विश्ववकर्मा भगवान की आरती पीडीऍफ़ भी डाउनलोड कर सकते है।
विश्वकर्मा जी की आरती | Vishwakarma Aarti PDF in Hindi – सारांश
PDF Name | विश्वकर्मा जी की आरती | Vishwakarma Aarti PDF in Hindi |
Pages | 2 |
Language | Hindi |
Source | pdfinbox.com |
Category | Religion & Spirituality |
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Vishwakarma Aarti Lyrics | Shri Vishwakarma Ji Ki Aarti
|| विश्वकर्मा जी की आरती ||
ॐ जय श्री विश्वकर्मा प्रभु. जय श्री विश्वकर्मा.
सकल सृष्टि के कर्ता रक्षक श्रुति धर्मा ॥1॥
आदि सृष्टि में विधि को, श्रुति उपदेश दिया.
शिल्प शस्त्र का जग में, ज्ञान विकास किया ॥2॥
ऋषि अंगिरा ने तप से; शांति नही पाई;
ध्यान किया जब प्रभु का, सकल सिद्धि आई॥3॥
रोग ग्रस्त राजा ने, जब आश्रय लीना।
संकट मोचन बनकर, दूर दुख कीना॥4॥
जब रथकार दम्पती, तुमरी टेर करी।
सुनकर दीन प्रार्थना, विपत्ति हरी सगरी॥5॥
एकानन चतुरानन, पंचानन राजे।
द्विभुज, चतुर्भुज, दशभुज, सकल रूप साजे॥6॥
ध्यान धरे जब पद का; सकल सिद्धि आवे.
मन दुविधा मिट जावे, अटल शांति पावे॥7॥
श्री विश्वकर्मा जी की आरती; जो कोई नर गावे;
कहत गजानन स्वामी, सुख सम्पत्ति पावे॥8॥