तुलसी विवाह कथा | Tulsi Vivah Katha PDF

नमस्कार दोस्तों, आज इस पोस्ट के माध्यम से हम आप सभी के लिए तुलसी विवाह कथा / Tulsi Vivah Katha PDF लेकर आए हैं। माता तुलसी जी से जुड़ी कथा बहुत ही प्रचलित है। श्रीमद् देवी भागवत पुराण में माता तुलसी जी के अवतरण की दिव्या लीला कथा भी बताई गई है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार माता तुलसी के विवाह की कथा को पढ़ने से वैवाहिक जीवन सुखमय हो जाता है। जो भी स्त्री माता तुलसी जी का आशीर्वाद प्राप्त करना चाहती है उसे यह कथा अवश्य ही पढ़नी चाहिए।

आप पूर्ण विधि विधान से तुलसी विवाह के व्रत को रखकर माता तुलसी से पूजा प्रार्थना कर व्रत कथा को पढ़ते हैं तो आप पर माता तुलसी का आर्शीर्वाद हमेशा बना रहेगा। आप इस पोस्ट के माध्यम से Tulsi Ki Kahani को पढ़ सकते हैं। कथा की पीडीएफ डाउनलोड करने के लिए पोस्ट के लास्ट में दिख रहे डाउनलोड पीडीएफ बटन दबाएं।

तुलसी विवाह कथा | Tulsi Vivah Katha PDF – सारांश

PDF Nameतुलसी विवाह कथा / Tulsi Vivah Katha PDF
Pages2
LanguageHindi
Our Websitepdfinbox.com
CategoryReligion & Spirituality
Sourcepdfinbox.com
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तुलसी विवाह की कथा / Tulsi Mata Ki Katha

एक लड़की थी। जब वह थोड़ी बड़ी हुई और समझने लगी तो उसने तुलसी माताजी की पूजा करना शुरू कर दिया। तुलसी माताजी की पूजा करने के बाद ही भोजन करना उसकी दिनचर्या थी। जब लड़की विवाह के योग्य हुई तो उसके माता-पिता ने उसका विवाह कर दिया। उसके माता-पिता ने दहेज में उसे तुलसी का गमला भी दिया। ससुराल में वह रोज सुबह उठते ही पूजा करती और उसके बाद ही भोजन करने बैठती। उसकी दो भाभियाँ थीं, वे दोनों उसका मजाक उड़ाती थीं कि वह बहुत सख्त बनने का दिखावा करती है। वे दोनों उससे बहुत ईर्ष्या करती थीं, इसलिए वे तुलसी का गमला छिपा देती थीं।

लड़की बड़ी मुश्किल से गमला ढूंढ़ कर लाती, विधिवत पूजा करती और फिर भोजन करती। वह गमला ढूंढ़ कर वापस ले आती, लेकिन एक दिन उसकी भाभियों ने कुछ ऐसा किया कि उन्होंने गमला फेंक दिया। लड़की ने बहुत ढूंढा लेकिन उसे गमला नहीं मिला। वह बहुत दुखी हुई। उस दिन उसने भोजन भी नहीं किया, यही उसकी दिनचर्या थी। लड़की की सच्ची भक्ति देखकर तुलसी माता उससे बहुत प्रसन्न हुईं। और तुलसी माता का गमला उसके कमरे में प्रकट हो गया। अगले दिन जब वह उठी तो उसने देखा कि उसके बिस्तर के चारों कोनों पर तुलसी माता का गमला प्रकट हो गया था।

यह देखकर वह बहुत खुश हुई कि अब मेरी तुलसी माता को कोई चुरा नहीं पाएगा। मुझे पूजा करने के लिए कहीं और नहीं जाना पड़ेगा और कोई मेरी तुलसी माता को फेंक नहीं पाएगा। वह जल्दी से उठी, स्नान किया और तुलसी माता की पूजा की। जब वह खाना खाने बैठी तो उसकी ननद मजाक करने लगी कि देखो भाभी का धर्म पूरा हो गया। वह उससे पूछती है कि क्या उसने तुलसी जी की पूजा की है। भाभी धीरे से कहती है हां मैंने की है।

भाभी कहती है कि तुमने पूजा कहां की थी, मैंने तो गमला फेंक दिया था। भाभी कहती है देखो तुलसी जी मेरे कमरे में बिस्तर पर प्रकट हो रही हैं। भाभी बहुत शर्मिंदा हुई और बोली भाभी आपकी भक्ति सच्ची है, हमने आपको बहुत परेशान किया। कृपया हमें माफ कर दें। भाभी उसे माफ कर देती है।

हम तुलसी माताजी से यह भी प्रार्थना करते हैं कि “हे तुलसी माता, जैसा आशीर्वाद आपने अपनी भाभी पर किया वैसा ही आशीर्वाद हम सब पर करना”।

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