नमस्कार मित्रों, आज इस लेख के माध्यम से हम आप सभी के लिए सूर्यदेव आरती / Surya Dev Aarti in Hindi PDF में प्रदान करने जा रहे हैं। हिंदू धर्म के अंतर्गत सूर्य ग्रहण पर सूर्य देव की मुख्य रूप से पूजा की जाती है ऐसा माना जाता है कि जो व्यक्ति सूर्य देव की पूजा करता है उसे किसी भी प्रकार की कठिनाई का सामना करना पड़ता है तथा सूर्य देव की कृपा हमेशा उस पर बनी रहती है।
भारत में सूर्य ग्रहण के अलावा अन्य भी कई अवसरों पर सूर्य देव की पूजा की जाती है छठ पूजा और मकर सक्रांति पर भी सूर्य देव की पूजा की जाती है। जो भी व्यक्ति डरता है या कोई भी चीज बोलने में घबराता है उसे सूर्य देव की उपासना अवश्य करनी चाहिए आज आप सभी के लिए सूर्य देव जी की आरती लेकर आए हैं इससे आपका धैर्य और विश्वास निश्चित ही बढ़ेगा।
सूर्यदेव आरती | Surya Dev Aarti in Hindi PDF – सारांश
PDF Name | सूर्यदेव आरती | Surya Dev Aarti in Hindi PDF |
Pages | 3 |
Language | Hindi |
Category | Religion & Spirituality |
Source | pdfinbox.com |
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Surya Dev Ki Aarti Lyrics | Suryadev Aarti PDF
॥ आरती श्री सूर्य जी ॥
जय कश्यप-नन्दन,ॐ जय अदिति नन्दन।
त्रिभुवन – तिमिर – निकन्दन,भक्त-हृदय-चन्दन॥
जय कश्यप-नन्दन, ॐ जय अदिति नन्दन।
सप्त-अश्वरथ राजित,एक चक्रधारी।
दु:खहारी, सुखकारी,मानस-मल-हारी॥
जय कश्यप-नन्दन, ॐ जय अदिति नन्दन।
सुर – मुनि – भूसुर – वन्दित,विमल विभवशाली।
अघ-दल-दलन दिवाकर,दिव्य किरण माली॥
जय कश्यप-नन्दन, ॐ जय अदिति नन्दन।
सकल – सुकर्म – प्रसविता,सविता शुभकारी।
विश्व-विलोचन मोचन,भव-बन्धन भारी॥
जय कश्यप-नन्दन, ॐ जय अदिति नन्दन।
कमल-समूह विकासक,नाशक त्रय तापा।
सेवत साहज हरतअति मनसिज-संतापा॥
जय कश्यप-नन्दन, ॐ जय अदिति नन्दन।
नेत्र-व्याधि हर सुरवर,भू-पीड़ा-हारी।
वृष्टि विमोचन संतत,परहित व्रतधारी॥
जय कश्यप-नन्दन, ॐ जय अदिति नन्दन।
सूर्यदेव करुणाकर,अब करुणा कीजै।
हर अज्ञान-मोह सब,तत्त्वज्ञान दीजै॥
जय कश्यप-नन्दन, ॐ जय अदिति नन्दन।
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