नमस्कार मित्रों, आज इस लेख के माध्यम से हम आप सभी के लिए स्कंदमाता की कथा | Skandmata Vrat Katha PDF in Hindi में प्रदान करने जा रहे हैं। नवरात्रों के पांचवें दिन स्कंदमाता माता की पूजा की जाती है स्कंदमाता माता की पूजा करने से जीवन के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं। जो भी व्यक्ति निरंतर रूप से माता की कथा का जाप करता है और माता की आरती करता है उसे अपने जीवन में किसी भी प्रकार की कठिनाई का सामना नहीं करना पड़ता था।
जिन्हें कार्तिकेय की माता भी कहा जाता है स्कंदमाता माता दुर्गा का ही एक रूप है और यदि आप स्कंदमाता की कथा ढूंढ रहे हैं तो आप बिल्कुल सही जगह पर आए हैं। यहां से नवरात्रों और अन्य धार्मिक तथा एजुकेशन से रिलेटेड सभी प्रकार की पोस्ट देख सकते हैं ऐसी अन्य पोस्ट देखने के लिए अवश्य क्लिक करें।
स्कंदमाता की कथा | Skandmata Vrat Katha PDF in Hindi – सारांश
PDF Name | स्कंदमाता की कथा | Skandmata Vrat Katha PDF in Hindi |
Pages | 1 |
Language | Hindi |
Category | Religion & Spirituality |
Source | pdfinbox.com |
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नवरात्रि पांचवें दिन की कथा | Skandmata Katha
पौराणिक कथाओं के अनुसार बहुत समय पहले तारकासुर नाम का एक राक्षस रहता था। तारकासुर घोर तपस्या कर रहा था। भगवान ब्रह्मा उनकी तपस्या से प्रसन्न हुए। वरदान के रूप में, तारकासुर अमर होना चाहता था। यह सुनकर भगवान ब्रह्मा ने उनसे कहा कि इस धरती पर कोई भी अमर नहीं हो सकता। वरदान में तारकासुर ने मांगा की अमर होना चाहता है परंतु इस पर ब्रह्मा जी ने आपत्ति जताई और ब्रह्मा जी ने कहा कि इस ब्रह्मांड में कोई भी अमर नहीं हो सकता और इस बात को सुनकर तारकासुर ने कहा तो केवल भगवान शिव का पुत्र ही मुझे मार सकता है।
तारकासुर ने यह धारणा बना ली थी कि भगवान शिव कभी विवाह नहीं करेंगे और न ही उनका कोई पुत्र होगा। इस वरदान को पाने के बाद तारकासुर ने लोगों पर अत्याचार करना शुरू कर दिया। तंग आकर सभी देवता भगवान शिव से मदद मांगने लगे। भगवान शिव ने तारकासुर का वध करने के लिए माता पार्वती से विवाह किया था।
विवाह के बाद कार्तिकेय शिव-पार्वती के पुत्र हुए। जब कार्तिकेय बड़े हुए तो उन्होंने तारकासुर का वध किया। कहा जाता है कि भगवान शिव के पुत्र कार्तिकेय बड़े हुए तो उन्होंने तारकासुर का वध किया कहा जाता है कि सिकंद माता कार्तिकेय की माता थी।
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