नमस्कार मित्रों, आज इस लेख के माध्यम से हम आप सभी के लिए सीता माता की आरती / Sita Mata Ki Aarti PDF in Hindi में प्रदान करने जा रहे हैं। रामायण के अनुसार मिथिला नरेश जनक खेती कर रहे थे तो उनका हल एक मटके में अटक गया और जब उन्होंने मटके को खोल कर देखा तो उन्हें माता सीता के द्रव्य रूप का दर्शन हुआ। माता सीता की छोटी बहन उर्मिला है। जनक की पुत्री होने के कारण माता सीता को अन्य और कई नामों से जाना जाता है जैसे – जानकी, जनकात्मजा अथवा जनकसुता।
महर्षि विश्वामित्र का यज्ञ भगवान राम और उनके भाई लक्ष्मण की सुरक्षा की वजह से सफलता पूर्ण संपन्न हुआ। इसके पश्चात भगवान जनक ने सीता जी के स्वयंबर की घोषणा की कोई भी राजा धनुष को नहीं उठा पाया परंतु स्वयंवर की शर्तों के अनुसार भगवान राम ने धनुष उठाया और उसको भंग किया। अंत में भगवान राम का विवाह माता सीता से होता है। माता सीता की पूजा पूरे भारतवर्ष में की जाती है और माता की पूजा करने से सभी कष्टों का निवारण होता है आज हम आप सभी के लिए सीता जी की आरती लेकर आए हैं यहां से आप बिना किसी परेशानी के आरती को पढ़ सकते हैं साथ ही उसकी पीडीएफ डाउनलोड कर सकते हैं।
सीता माता की आरती | Sita Mata Ki Aarti PDF in Hindi – सारांश
PDF Name | सीता माता की आरती | Sita Mata Ki Aarti PDF in Hindi |
Pages | 3 |
Language | Hindi |
Category | Religion & Spirituality |
Source | pdfinbox.com |
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Sita Mata Aarti | Sita Mata Ki Aarti Lyrics
आरती श्री जनक दुलारी की ।
सीता जी रघुवर प्यारी की ॥
जगत जननी जग की विस्तारिणी,
नित्य सत्य साकेत विहारिणी,
परम दयामयी दिनोधारिणी,
सीता मैया भक्तन हितकारी की ॥
आरती श्री जनक दुलारी की ।
सीता जी रघुवर प्यारी की ॥
सती श्रोमणि पति हित कारिणी,
पति सेवा वित्त वन वन चारिणी,
पति हित पति वियोग स्वीकारिणी,
त्याग धर्म मूर्ति धरी की ॥
आरती श्री जनक दुलारी की ।
सीता जी रघुवर प्यारी की ॥
विमल कीर्ति सब लोकन छाई,
नाम लेत पवन मति आई,
सुमीरात काटत कष्ट दुख दाई,
शरणागत जन भय हरी की ॥
आरती श्री जनक दुलारी की ।
सीता जी रघुवर प्यारी की ॥
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