नमस्कार पाठकों, इस लेख के माध्यम से आप शुक्रवार प्रदोष व्रत कथा / Shukrawar Pradosh Vrat Katha PDF देख कर सकते हैं। आप गुरुवार प्रदोष व्रत की कथा नीचे दिए गए डाउनलोड बटन पर क्लिक करके डाउनलोड कर सकते हैं जो प्रदोष व्रत शुक्रवार के दिन पड़ता है उसे शुक्र प्रदोष व्रत कहा जाता है। मुख्य रूप से प्रदोष व्रत की पूजा शाम को प्रदोष काल में की जानी चाहिए यदि हम सही समय होने की बात करें तो प्रदोष व्रत सूर्यास्त होने से एक घंटा पहले किया जाना चाहिए। इस समय अवधि को प्रदोष काल कहा जाता है।
जो भी व्यक्ति सच्चे दिल से प्रदोष व्रत रखता है भगवान शिव की कृपा उस पर बनी रहती है वह सदैव सुखी जीवन जीता है। यदि आप अपने जीवन में किसी भी प्रकार की समस्या का सामना कर रहे हैं तो आपको यह व्रत अवश्य रखना चाहिए इस पोस्ट के माध्यम से आप शुक्र प्रदोष व्रत की कहानी आसानी से पढ़ सकते हैं और नीचे बटन पर क्लिक करके पीडीऍफ़ डाउनलोड कर सकते हैं।
शुक्रवार प्रदोष व्रत कथा | Shukrawar Pradosh Vrat Katha PDF – सारांश
PDF Name | शुक्रवार प्रदोष व्रत कथा | Shukrawar Pradosh Vrat Katha PDF |
Pages | 2 |
Language | Hindi |
Source | pdfinbox.com |
Category | Religion & Spirituality |
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शुक्र प्रदोष व्रत कथा | Shukra Pradosh Vrat Katha
एक नगर में 3 मित्र रहते थे – राजकुमार, ब्राह्मण कुमार और तीसरा धनवान पुत्र। राजकुमार और ब्राह्मण कुमार का विवाह हुआ था। धनिक के बेटे की भी शादी हो गई थी, लेकिन गौना रह गया था। एक दिन तीनों मित्र स्त्रियों के बारे में चर्चा कर रहे थे।
ब्राह्मण कुमार ने स्त्रियों की प्रशंसा करते हुए कहा- ‘नारी विहीन घर भूतों का डेरा होता है।’ जब अमीर बेटे ने यह सुना तो उसने तुरंत अपनी पत्नी को लाने का फैसला किया। तब धनिक के पुत्र के माता-पिता ने समझाया कि भगवान शुक्र अब जलमग्न हो गए हैं। ऐसे में बहू को घर से विदा करना शुभ नहीं माना जाता, परन्तु, धनिक का पुत्र एक नहीं सुनता और अपने ससुराल पहुंच जाता है।
ससुराल में भी उसे मनाने का प्रयास किया गया, लेकिन वह अड़ा रहा और लड़की के माता-पिता को उसे विदा करना पड़ा। विदाई के बाद पति-पत्नी शहर से निकले ही थे कि बैलगाड़ी का पहिया निकल गया और बैल का पैर टूट गया। दोनों को चोटें आईं लेकिन फिर भी वे चलते रहे। कुछ दूर जाने के बाद डकैतों ने उसे पाला। जो उनका पैसा लूट कर ले गए। दोनो घर पहुँचे। वहां सांप ने अमीर के बेटे को डंस लिया। उसके पिता ने डॉक्टर को फोन किया तो डॉक्टर ने बताया कि 3 दिन में उसकी मौत हो जाएगी।
जैसे ही यह बात ब्राह्मण कुमार को पता चलती है तो वह धनिक पुत्र के घर पहुंचता है और धनिक पुत्र के माता-पिता को प्रदोष व्रत रखने की सलाह देता है और उसे पत्नी सहित ससुराल वापस भेजने को कहता है। धनिक ब्राह्मण कुमार की बात मानकर अपनी ससुराल पहुंचा, जहां उसकी स्थिति में सुधार होता गया।
शुक्र प्रदोष व्रत को सच्चे दिल से रखने से सभी घोर कष्ट दूर हो जाते हैं और सुख-समृद्धि प्राप्त होती है इसके साथ ही जो भी प्रदोष व्रत शुक्रवार के दिन पड़ता है उस व्रत को रखने से वैवाहिक जीवन में सौभाग्य और सुख शांति की प्राप्ति होती है।
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