नमस्कार मित्रों, आज इस लेख के माध्यम से हम आप सभी के लिए शैलपुत्री माता की कथा | Shailputri Mata Ki Vrat Katha PDF in Hindi में प्रदान करने जा रहे हैं। नवरात्रि के पहले दिन माता शैलपुत्री की पूजा की जाती है उनके पिता का नाम पर्वतराज हिमालय है इसी वजह से इन्हें शैलपुत्री के नाम से जाना जाता है। माता शैलपुत्री के दाहिने हाथ में त्रिशूल और बाएं हाथ में कमल का फूल रहता है।
माता शैलपुत्री की सवारी बैल है शैलपुत्री माता का पहला जन्म प्रजापति दक्ष के घर में हुआ था। और उस समय पर उनका एक नाम सती भी था। इनका विवाह भगवान शंकर से हुआ। माता शैलपुत्री का पूजन नवरात्रों में सर्वप्रथम किया जाता है। यदि आप माता शैलपुत्री की असीम कृपा की प्राप्ति करना चाहते हैं तो यह पोस्ट स्पेशल आपके लिए माता शैलपुत्री की कथा का जाप करने से आपके जीवन के सभी कष्ट दूर हो जाएगा।
शैलपुत्री माता की कथा | Shailputri Mata Ki Vrat Katha PDF in Hindi – सारांश
PDF Name | शैलपुत्री माता की कथा | Shailputri Mata Ki Vrat Katha PDF in Hindi |
Pages | 3 |
Language | Hindi |
Category | Religion & Spirituality |
Source | pdfinbox.com |
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नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा | नवरात्रि पहले दिन की पूजा
एक बार जब प्रजापति ने यज्ञ किया तो उन्होंने भगवान शंकर को नहीं बल्कि सभी देवताओं को आमंत्रित किया। सती यज्ञ में जाने के लिए व्याकुल हो उठीं। शंकरजी ने कहा कि सभी देवताओं को आमंत्रित किया गया है, मुझे नहीं। ऐसे में वहां जाना उचित नहीं है।
सती का प्रबल आग्रह देखकर शंकरजी ने उन्हें यज्ञ में जाने की अनुमति दे दी। सती जब घर पहुंचीं तो मां ने ही उन्हें स्नेह दिया। बहनों की बातों में व्यंग्य और उपहास का भाव था। भगवान शंकर के प्रति भी तिरस्कार का भाव है। दक्ष ने भी उनके प्रति अपमानजनक शब्द कहे। इससे सती को संकट आ गया था।
वह अपने पति का यह अपमान सहन नहीं कर सकी और योगाग्नि द्वारा स्वयं को जलाकर भस्म कर लिया। इस महादु:ख से व्यथित होकर भगवान शंकर ने उस यज्ञ को नष्ट कर दिया। यही सती अगले जन्म में शैलराज हिमालय की पुत्री के रूप में जन्मीं और शैलपुत्री कहलाईं।
पार्वती और हेमवती भी इसी देवी के अन्य नाम हैं। शैलपुत्री का विवाह भी भगवान शंकर से हुआ था। शैलपुत्री भगवान शिव की पत्नी बनीं। इनका महत्व और शक्ति अनंत है।
दुर्गा पूजा विधि मंत्र सहित
वन्दे वांच्छितलाभाय चंद्रार्धकृतशेखराम् ।
वृषारूढ़ां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम् ॥
नवदुर्गा पूजा संकल्प मंत्र | Navratri Puja Sankalp Mantra
ॐ विष्णुः विष्णुः विष्णुः, अद्य ब्राह्मणो वयसः परार्धे श्रीश्वेतवाराहकल्पे जम्बूद्वीपे भारतवर्षे, अमुकनामसम्वत्सरे
आश्विनशुक्लप्रतिपदे अमुकवासरे प्रारभमाणे नवरात्रपर्वणि एतासु नवतिथिषु
अखिलपापक्षयपूर्वक-श्रुति-स्मृत्युक्त-पुण्यसमवेत-सर्वसुखोपलब्धये संयमादिनियमान् दृढ़ं पालयन् अमुकगोत्रः
अमुकनामाहं भगवत्याः दुर्गायाः प्रसादाय व्रतं विधास्ये।
माँ शैलपुत्री की आरती | Maa Shailputri Aarti PDF
शैलपुत्री माँ बैल असवार।करें देवता जय जय कार॥
शिव-शंकर की प्रिय भवानी।तेरी महिमा किसी ने न जानी॥
पार्वती तू उमा कहलावें।जो तुझे सुमिरे सो सुख पावें॥
रिद्धि सिद्धि परवान करें तू।दया करें धनवान करें तू॥
सोमवार को शिव संग प्यारी।आरती जिसने तेरी उतारी॥
उसकी सगरी आस पुजा दो।सगरे दुःख तकलीफ मिटा दो॥
घी का सुन्दर दीप जला के।गोला गरी का भोग लगा के॥
श्रद्धा भाव से मन्त्र जपायें।प्रेम सहित फिर शीश झुकायें॥
जय गिरराज किशोरी अम्बे।शिव मुख चन्द्र चकोरी अम्बे॥
मनोकामना पूर्ण कर दो।चमन सदा सुख सम्पत्ति भर दो॥
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