नमस्कार पाठकों, इस लेख के माध्यम से आप रवि प्रदोष व्रत कथा / Ravi Pradosh Vrat Katha PDF प्राप्त कर सकते हैं। जब भी प्रदोष व्रत रविवार को पड़ता है तो उसे रवि प्रदोष व्रत के नाम से जाना जाता है। हिंदू धर्म के अंतर्गत इस दिन भगवान शिव की पूजा करने का प्रावधान है। प्रत्येक महीने की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत किया जाता है। यह प्रदोष व्रत किस को समर्पित है यह बात उस वार/दिन पर निर्भर करती है जिस दिन त्रयोदशी तिथि पड़ती है।
हिंदू धर्म के अंतर्गत रवि प्रदोष व्रत को बहुत ही लाभदायक माना जाता है। जो भी व्यक्ति सच्चे दिल से रवि प्रदोष व्रत रखता है उसकी सभी शारीरिक व स्वास्थ्य संबंधित समस्याएं दूर हो जाती है। और उसके जीवन में एक नई ऊर्जा का संचार होता है। आप इस पोस्ट के माध्यम से रवि प्रदोष की व्रत कथा / Ravi Pardosh Ki Vrat Katha को पढ़ सकते हैं। और नीचे दिए गए डाउनलोड बटन पर क्लिक करके कथा की पीडीएफ भी डाउनलोड कर सकते हैं।
रवि प्रदोष व्रत कथा | Ravi Pradosh Vrat Katha PDF – सारांश
PDF Name | रवि प्रदोष व्रत कथा | Ravi Pradosh Vrat Katha PDF |
Pages | 1 |
Language | Hindi |
Source | pdfinbox.com |
Category | Religion & Spirituality |
Download PDF | Click Here |
रवि प्रदोष व्रत की कथा | Ravi Pardosh Vrat Ki Katha
एक समय की बात है, परम पवित्र गंगा के तट पर समस्त प्राणियों के हित हेतु ऋषि समाज द्वारा एक विशाल सभा का आयोजन किया गया, जिसमें व्यास जी के परम प्रिय शिष्य पुराणवेत्ता सूतजी महाराज हरि कीर्तन करते हुए आये। शौनकादि अट्ठासी हजार ऋषि-मुनियों ने सूत जी को प्रणाम किया। सूत जी ने ऋषियों को भक्तिपूर्वक आशीर्वाद दिया और उनका स्थान ग्रहण किया।
ऋषियों ने नम्रतापूर्वक पूछा, “हे परम दयालु! कलियुग में किस पूजा से मिलेगी भगवान शंकर की भक्ति? कलिकाल में जब मनुष्य पाप कर्मों में लिप्त होंगे तो वे वेदों और शास्त्रों से विमुख रहेंगे। गरीबों को बहुत परेशानी होगी. हे मुनिश्रेष्ठ! कलिकाल में अच्छे कर्मों में किसी की रुचि नहीं रहेगी, सद्गुण क्षीण हो जायेंगे और मनुष्य स्वत: ही बुरे कर्मों की ओर प्रेरित हो जायेगा। इस पृथ्वी पर तब बुद्धिमान मनुष्य का कर्तव्य होगा कि वह पथ से भटके हुए मनुष्य का मार्गदर्शन करे, इसलिए हे महर्षि! वह सर्वोत्तम व्रत कौन सा है जिसके करने से मनवांछित फल मिलता है और कलिकाल के पाप शांत होते हैं?
सूत जी बोले – “हे शौनकादि ऋषियों! आप धन्यवाद के पात्र हैं। आपके विचार सराहनीय एवं लोक कल्याणकारी हैं। आपके हृदय में सदैव परोपकार की भावना रहती है, आप धन्य हैं। हे शौनकादि ऋषियों! आज मैं उस व्रत के महत्व का वर्णन करने जा रहा हूं जिसको करने से सभी पाप और सभी कष्ट संपूर्ण रूप से नष्ट हो जाते हैं और धन में वृद्धि के साथ सुख, संतान, मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। इसे भगवान शंकर ने सती जी को सुनाया था। सूत जी ने आगे कहा – “आयु और आरोग्य की वृद्धि के लिए रवि त्रयोदशी प्रदोष का व्रत करो। सुबह-सुबह इसमें स्नान करें और बिना उपवास किए भगवान शिव का ध्यान करें।
आप नीचे दिए गए डाउनलोड बटन से रवि प्रदोष व्रत कथा / Ravi Pradosh Vrat Katha PDF डाउनलोड कर सकते हैं।