नमस्कार मित्रों, आज इस लेख के माध्यम से हम आप सभी के लिए राम नवमी की कथा / Ram Navami Vrat Katha PDF in Hindi में प्रदान करने जा रहे हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार रामनवमी वाले दिन ही विष्णु के अवतार में दशरथ पुत्र भगवान श्रीराम का जन्म हुआ था उसी दिन से रामनवमी को बहुत ही विशेष माना जाता है और हिंदू धर्म में विशेष रूप से रामनवमी वाले दिन भगवान श्री राम की पूजा अर्चना की जाती है।
आज हम आप सभी के लिए राम नवमी व्रत कथा लेकर आए हैं इससे आप भगवान राम के चरणों में अपना ध्यान लगा सकते हैं और अपने दुखों को भगवान के साथ साझा कर सकते हैं इससे आपके सभी कष्ट दूर हो जाएंगे। आप पर भगवान राम की कृपा हो जाएगी। ऐसी ही अन्य धार्मिक पोस्ट या किसी भी प्रकार की पोस्ट देखने के लिए हमारी ऑफिशल वेबसाइट पर अवश्य ही विजिट करें आप यहां से रामनवमी की कथा को आसानी से पढ़ सकते हैं साथ ही उसकी पीडीएफ डाउनलोड कर सकते हैं।
राम नवमी की कथा | Ram Navami Vrat Katha PDF in Hindi – सारांश
PDF Name | राम नवमी की कथा | Ram Navami Vrat Katha PDF in Hindi |
Pages | 3 |
Language | Hindi |
Category | Religion & Spirituality |
Source | pdfinbox.com |
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Ram Navami Katha in Hindi | Ram Navami Vrat ki Kahani
पौराणिक कथा के अनुसार भगवान श्रीराम, माता सीता और भगवान लक्ष्मण वनवास जा रहे थे। उस समय भगवान श्रीराम कुछ देर विश्राम करने के लिए रुके। जहां प्रभु विश्राम कर रहे थे, वहीं पास में एक बुढ़िया रहती थी। भगवान श्री राम, लक्ष्मण और माता सीता उस बुढ़िया के घर गए। उस समय बुढ़िया सूत कात रही थी। बुढ़िया ने श्री राम, लक्ष्मण और माता सीता का आदरपूर्वक स्वागत किया और उन्हें स्नान-ध्यान करके भोजन करने को कहा। यह सुनकर श्रीराम ने बुढ़िया से कहा कि ‘माता’ मेरे हंस को बहुत भूख लगी है पहले इसके लिए मोती लाओ उसके बाद में खा लूंगा।
यह सुनकर बुढ़िया बहुत परेशान हो गई। लेकिन बुढ़िया अपने घर आए मेहमानों का अनादर नहीं करना चाहती थी। इस कारण वह दौड़कर अपने नगर के राजा के पास गई और उससे अपने मोती उधार देने को कहा। बुढ़िया की हैसियत नहीं थी कि वह राजा को मोती लौटा सके, लेकिन फिर भी राजा ने बुढ़िया पर दया करके मोती दे दिया। भागते-भागते बुढ़िया उस मोती को ले आई और प्रभु श्री राम के हंस को खिला दी।
हंस को दूध पिलाने के बाद बुढ़िया ने प्रभु श्री राम को भी भोजन कराया। भोजन करने के बाद प्रभु श्री राम के पास जाते समय बुढ़िया के आंगन में एक मूर्ती का पेड़ लगाया गया। जब पेड़ बड़ा हुआ तो उसमें ढेर सारे मोती थे। लेकिन बुढ़िया को इस मोती के बारे में कुछ पता नहीं था। जब पेड़ से कोई मोती गिरता था तो उसका पड़ोसी उसे उठाकर ले जाता था।
एक दिन जब बुढ़िया उस पेड़ के नीचे बैठी सूत काट रही थी। इतने में पेड़ से एक मोती गिर गया। मोती गिरते ही बुढ़िया ने उठा लिया और राजा के पास ले गई। बुढ़िया के पास इतने सारे मोती देखकर राजा हैरान रह गया। राजा ने बुढ़िया से पूछा कि तुम्हें इतने मोती कहां से मिले। तब बुढ़िया ने अपने राजा को बताया कि उसके आंगन में एक मोती का पेड़ है।
यह सुनकर राजा ने तुरंत उस पेड़ को अपने आंगन में लगवा दिया। लेकिन प्रभु श्री राम की कृपा से राजा के आंगन में लगा मोती का पेड़ मोतियों की जगह कांटों से मिलने लगा। एक दिन उसी पेड़ का एक कांटा रानी के पैर में चुभ गया। रानी के पैर में कांटा चुभने के बाद उन्हें बहुत दर्द हुआ। वह चिल्लाती हुई राजा के पास गई। यह देखकर राजा ने उस पेड़ को फिर से बुढ़िया के आंगन में लगवा दिया। प्रभु श्री राम की कृपा से वृक्ष में फिर से मोती उगने लगे। दोबारा से मोती होने लगे परंतु इस बार जो मोती गिरता उनको बुढ़िया उठाकर श्री राम भगवान के प्रसाद के रूप में लोगों को बांट देती।