पिठोरी अमावस्या व्रत कथा | Pithori Amavasya Vrat Katha PDF

नमस्कार पाठकों, इस लेख के माध्यम से आप पिठोरी अमावस्या व्रत कथा / Pithori Amavasya Vrat Katha PDF प्राप्त कर सकते हैं। भाद्रपद के महीने में आने वाली अमावस्या को पिठोरी अमावस्या के नाम से जाना जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन मां दुर्गा की पूजा करने से संतान को लंबी आयु प्राप्त होती है और मृत संतान को भी नया जीवन मिल सकता है। इस दिन आटे से 64 देवियों के पिंड बनाकर उनकी पूजा करने का प्रावधान है।

उत्तर भारत में इस अमावस्या को पिठोरी अमावस्या के नाम से जाना जाता है। वहीं दक्षिण भारत में इसे पोलाला अमावस्या के नाम से जाना जाता है। उत्तर भारत में इस दिन माता दुर्गा की पूजा की जाती है जबकि दक्षिण में मां पोलेरम्मा की पूजा की जाती है। जो भी इस दिन सच्चे दिल से व्रत रखकर पूजा करता है उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। आप इस पोस्ट के माध्यम से आप पिठोरी अमावस्या की कथा / Pithori Amavasya ki Katha को पढ़ सकते हैं। और नीचे दिए डाउनलोड पीडीएफ बटन पर क्लिक करके व्रत कथा की पीडीएफ डाउनलोड कर सकते हैं।

पिठोरी अमावस्या व्रत कथा | Pithori Amavasya Vrat Katha PDF – सारांश

PDF Name पिठोरी अमावस्या व्रत कथा | Pithori Amavasya Vrat Katha PDF
Pages 1
Language Hindi
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Category Religion & Spirituality
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कुशग्रहणी अमावस्या व्रत कथा | Kusha Grahani Amavasya Vrat Katha

बहुत पहले की बात है। एक परिवार में सात भाई थे। सबकी शादी हो चुकी थी। सबके छोटे-छोटे बच्चे भी थे। परिवार की सुरक्षा के लिए सातों भाइयों की पत्नियां पिठौरी अमावस्या का व्रत रखना चाहती थीं। लेकिन पहले साल जब बड़े भाई की पत्नी ने व्रत रखा तो उसके बेटे की मृत्यु हो गयी। दूसरे वर्ष एक और पुत्र की मृत्यु हो गई। सातवें साल भी यही हुआ।

फिर इस बार बड़े भाई की पत्नी ने अपने मृत बेटे का शव कहीं छुपा दिया। गाँव की कुल देवी माँ पोलेरम्मा उस समय गाँव के लोगों की रक्षा के लिए पहरा दे रही थीं। जब उसने अपनी माँ को इस दुःखी देखा तो उसने इसका कारण जानना चाहा। जब बड़े भाई की पत्नी ने सारी कहानी बताई तो देवी पोलेरम्मा को दया आ गई।

उन्होंने दुखी मां से उन स्थानों पर हल्दी छिड़कने को कहा जहां उनके बेटों का अंतिम संस्कार किया गया था। माँ ने वैसा ही किया। जब वह घर लौटी तो अपने सातों पुत्रों को जीवित देखकर बहुत प्रसन्न हुई। तभी से उस गांव की हर मां अपने बच्चों की लंबी उम्र की कामना के लिए पिठौरी अमावस्या का व्रत करने लगी।

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