नमस्कार पाठकों, आज इस पोस्ट के द्वारा हम आपके लिए पद्मिनी एकादशी व्रत कथा / Padmini Ekadashi Vrat Katha PDF लेकर आए हैं। एकादशी के व्रत को हिंदू धर्म के अंतर्गत महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त है। प्रत्येक वर्ष 24 एकादशी होती है। जब अधिक मास या मल का महीना आता है तो एकादशीओं की संख्या बढ़कर 26 हो जाती है। मलमास को एक अन्य नाम पुरुषोत्तम मास के नाम से भी जाना जाता है। इस महीने में दो एकादशी आती है।
जिनमें से पद्मिनी एकादशी अत्यंत पुण्य दायिनी एकादशी है। इस एकादशी को जो भी व्यक्ति व्रत रखता है और सच्चे दिल से भगवान की पूजा करता है उसे अपने जीवन में सभी सुखों की प्राप्ति होती है। और वह जीवन के सब सुख भोग कर विष्णुलोक को चला जाता है। इस पोस्ट में आप पद्मिनी एकादशी की कहानी / Padmini Ekadashi Ki Kahani को पढ़ सकते हैं। और नीचे दिए गए डाउनलोड बटन पर क्लिक करके इसे पीडीएफ फॉर्मेट में प्राप्त कर सकते हैं।
पद्मिनी एकादशी व्रत कथा | Padmini Ekadashi Vrat Katha PDF – सारांश
PDF Name | पद्मिनी एकादशी व्रत कथा | Padmini Ekadashi Vrat Katha PDF |
Pages | 1 |
Language | Hindi |
Source | pdfinbox.com |
Category | Religion & Spirituality |
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पद्मिनी एकादशी व्रत की कथा | Padmini Ekadashi Vrat Ki Katha
पूर्वकाल में त्रेयायुग में हैहय नामक राजा के वंश में कृतवीर्य नामक राजा महिष्मती पुरी में राज्य करते थे। उस राजा की 1,000 परमप्रिय स्त्रियाँ थीं, लेकिन उनमें से किसी का भी कोई पुत्र नहीं था, जो उसके राज्य को संभाल सके। राजा ने देवताओं, पितरों, सिद्धों और अनेक वैद्यों आदि से पुत्र प्राप्ति की बहुत कोशिश की, लेकिन सभी विफल रहे।
तब राजा ने तपस्या करने का निश्चय किया। उनकी सबसे प्रिय रानी, जो इक्ष्वाकु वंश में पैदा हुई, राजा हरिश्चंद्र की बेटी थी, जिसका नाम पद्मिनी था, राजा के साथ जंगल में जाने के लिए तैयार हो गई। अपने मंत्री को राज्य सौंपकर वे दोनों राजसी पोशाक छोड़कर गंधमादन पर्वत पर तपस्या करने चले गये।
राजा ने उस पर्वत पर पहुंचकर निरंतर 10000 वर्ष तक तपस्या की उसके बाद भी उसे पुत्र की प्राप्ति नहीं हुई। तब अनुसूया ने पतिव्रता रानी कमलनयनी पद्मिनी से कहा: 12 महीनों से अधिक महत्वपूर्ण मलमास है, जो 32 महीनों के बाद आता है। द्वादशीयुक्त पद्मिनी शुक्ल पक्ष की एकादशी का व्रत जागरण सहित करने से तुम्हारी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होंगी। इस व्रत को करने से भगवान तुमसे प्रसन्न होंगे और तुम्हें शीघ्र ही पुत्र प्रदान करेंगे।
रानी पद्मिनी ने पुत्र प्राप्ति की इच्छा से एकादशी का व्रत किया। वह एकादशी को व्रत रखकर रात्रि जागरण करती थी। इस व्रत से प्रसन्न होकर भगवान विष्णु ने उन्हें पुत्र प्राप्ति का वरदान दिया। इसके प्रभाव से पद्मिनी के घर कार्तवीर्य का जन्म हुआ। जो बलशाली था और तीनों लोकों में उसके समान कोई बलवान नहीं था। भगवान के अलावा तीनों लोकों में उन्हें जीतने की क्षमता किसी में नहीं थी। जो भी इस कथा को ध्यान से सुनता है भगवान उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं और वह व्यक्ति रूप में जीवन के सभी सुख प्राप्त करके श्री हरि लोक में स्थान प्राप्त करता है अर्थात विष्णु लोक को प्राप्त हो जाता है।
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