नवरात्रि आरती PDF | Navratri Aarti PDF in Hindi

दोस्तों आज हम आपके लिए लेकर आये हैं नवरात्रि आरती PDF | Navratri Aarti PDF in Hindi जिसमे आपको नवरात्रि की सारी आरती पढ़ने को मिलेंगी। दोस्तों यदि आप नवरात्रि आरती ढूंढ रहे हैं तो आप बिल्कुल सही जाएंगे आए हैं जैसा कि आप सभी जानते हैं कि भारत कई देश कई धर्मों का देश है इसमें बहुत से त्योहार मनाए जाते हैं तथा उन्हीं में से एक विशेष रूप से नवरात्रि पूजन भी भारत देश के अंदर किया जाता है। नवरात्रों में माता सती के 9 रूपों का पूजन किया जाता है नवरात्रों के 9 दिन को बहुत ही शुभ माना जाता है सभी लोग नवरात्रों के दिन माता की पूजा करते हैं और अपने घर में साफ सफाई का मुख्य रुप से ध्यान रखते हैं।

ऐसा माना जाता है कि जो भी व्यक्ति नवरात्रों में माता की दिल से पूजा करता है उसके सभी कष्ट दूर हो जाते हैं यदि आप भी माता की आरती को ढूंढने में असफल है तो आप यहां से आसानी से उसको पढ़ सकते हैं ।तथा बिना किसी परेशानी के उसकी पीडीएफ भी डाउनलोड कर सकते हैं साथ ही माता रानी के सभी रूपों की आरती तथा पूजा सामग्री संबंधित सभी जानकारी के लिए क्लिक करें।

नवरात्रि आरती PDF | Navratri Aarti PDF in Hindi – सारांश

PDF Name नवरात्रि आरती PDF | Navratri Aarti PDF in Hindi
Pages 2
Language Hindi
Category Religion & Spirituality
Source pdfinbox.com
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Navratri Aarti Lyrics

जय अम्बे गौरी,मैया जय श्यामा गौरी।
तुमको निशिदिन ध्यावत,हरि ब्रह्मा शिवरी॥
जय अम्बे गौरी
माँग सिन्दूर विराजत,टीको मृगमद को।
उज्जवल से दो‌उ नैना,चन्द्रवदन नीको॥
जय अम्बे गौरी
कनक समान कलेवर,रक्ताम्बर राजै।
रक्तपुष्प गल माला,कण्ठन पर साजै॥
जय अम्बे गौरी
केहरि वाहन राजत,खड्ग खप्परधारी।
सुर-नर-मुनि-जन सेवत,तिनके दुखहारी॥
जय अम्बे गौरी
कानन कुण्डल शोभित,नासाग्रे मोती।
कोटिक चन्द्र दिवाकर,सम राजत ज्योति॥
जय अम्बे गौरी
शुम्भ-निशुम्भ बिदारे,महिषासुर घाती।
धूम्र विलोचन नैना,निशिदिन मदमाती॥
जय अम्बे गौरी
चण्ड-मुण्ड संहारे,शोणित बीज हरे।
मधु-कैटभ दो‌उ मारे,सुर भयहीन करे॥
जय अम्बे गौरी
ब्रहमाणी रुद्राणीतुम कमला रानी।
आगम-निगम-बखानी,तुम शिव पटरानी॥
जय अम्बे गौरी
चौंसठ योगिनी मंगल गावत,नृत्य करत भैरूँ।
बाजत ताल मृदंगा,अरु बाजत डमरु॥
जय अम्बे गौरी
तुम ही जग की माता,तुम ही हो भरता।
भक्‍तन की दु:ख हरता,सुख सम्पत्ति करता॥
जय अम्बे गौरी
भुजा चार अति शोभित,वर-मुद्रा धारी।
मनवान्छित फल पावत,सेवत नर-नारी॥
जय अम्बे गौरी
कन्चन थाल विराजत,अगर कपूर बाती।
श्रीमालकेतु में राजत,कोटि रतन ज्योति॥
जय अम्बे गौरी
श्री अम्बेजी की आरती,जो को‌ई नर गावै।
कहत शिवानन्द स्वामी,सुख सम्पत्ति पावै॥
जय अम्बे गौरी

चैत्र नवरात्रि माता की आरती के फायदे

यदि आप सच्चे दिल से माता की पूजा करते हैं तो माता माता की असीम कृपा आप पर बनी रहेगी आपके सभी कष्ट दूर हो जाएंगे और आपके घर में पूर्ण रूप से शांति बनी रहेगी इसके साथ ही भविष्य में आपको किसी भी प्रकार की कठिनाई का सामना नहीं करना पड़ेगा।

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