नमस्कार पाठकों, इस लेख के माध्यम से आप मंगलवार व्रत कथा / Mangalvar Vrat Katha PDF in Hindi प्राप्त कर सकते हैं। हनुमान जी को हिंदू धर्म के अंतर्गत बहुत ही पूजनीय माना जाता है और हनुमान जी की पूजा भारतवर्ष में पूर्ण धूमधाम से की जाती है। केवल भारतवर्ष में ही नहीं आज के दिनों में और भी संसार के कई देशों में हनुमान जी की पूजा पूर्ण आस्था व श्रद्धा के साथ की जाती है। यदि कुंडली में मंगल की महादशा और अंतर्दशा चल रही हो तो उन्हें बजरंगबली का मंगलवार का व्रत अवश्य ही रखना चाहिए।
जो लोग मांगलिक है या या जिस भी व्यक्ति की कुंडली में मंगल दोष है उसके लिए यह व्रत बहुत ही महत्वपूर्ण है इस व्रत को रखने से जीवन के सभी कष्ट समाप्त हो जाते हैं। और हनुमान जी की कृपा प्राप्त होते ही जीवन की सभी उपलब्धियां प्राप्त हो जाती है। यदि आप पूर्ण श्रद्धा से इस व्रत को रखोगे तो आपका जीवन पूर्ण रूप से मंगलमय हो जाएगा। आज इस लेख के माध्यम से आप मंगलवार की कथा पढ़ सकते हो और नीचे बटन पर क्लिक करके इसकी पीडीएफ डाउनलोड कर सकते हो।
मंगलवार व्रत कथा | Mangalvar Vrat Katha PDF in Hindi – सारांश
PDF Name | मंगलवार व्रत कथा | Mangalvar Vrat Katha PDF in Hindi |
Pages | 2 |
Language | Hindi |
Source | pdfinbox.com |
Category | Religion & Spirituality |
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हनुमान व्रत कथा | Mangalvar Vrat Katha in Hindi
प्राचीन समय की बात है एक नगर में एक ब्राह्मण पति-पत्नी रहते थे, संतान न होने के कारण वे बहुत दुखी रहते थे। हर बार की तरह इस बार भी ब्राह्मण वन में पूजा करने गया और वह ब्राह्मण जंगल में बैठकर पूजा करने लगा और पूजा करने के बाद हनुमान जी से पुत्र प्राप्ति की प्रार्थना करने लगा और दूसरी ओर उस ब्राह्मण की पत्नी भी उसकी पूजा करने लगी। घर में पुत्र प्राप्ति के लिए वह हर मंगलवार का व्रत रखती थी और व्रत के अंत में बजरंगबली को भोग लगाकर भोजन ग्रहण करती थी।
व्रत के एक दिन वह ब्राह्मणी किसी कारणवश भोजन नहीं बना सकी और न ही हनुमान जी को भोग लगा सकी। इसलिए उस दिन उस ब्राह्मणी ने प्रण लिया कि वह आने वाले मंगलवार को हनुमान जी को भोग लगाकर ही भोजन करेगी। वह ब्राह्मण छह दिन भूखा-प्यासा काटकर मंगलवार को ही मूर्छित हो गया।
और फिर हनुमान जी उनकी निष्ठा, त्याग और सच्ची लगन और भक्ति को देखकर प्रसन्न हुए। और उस ब्राह्मणी को दर्शन दिए और कहा कि वह उस ब्राह्मणी से बहुत प्रसन्न हैं और उसे पुत्र प्राप्ति का वरदान देते हैं। और हनुमान जी उस ब्राह्मणी को वर के रूप में पुत्र देकर अंतर्ध्यान हो जाते हैं। पुत्र के जन्म पर ब्राह्मण अति हर्षित होता है और उस पुत्र का नाम मंगल रखता है। कुछ देर बाद जब ब्राह्मण अपने घर लौटा तो उसने बालक को देखा और पूछा कि यह बालक कौन है।
जब उसकी पत्नी उस ब्राह्मण को सारी कहानी सुनाती है। उस ब्राह्मण को अपनी पत्नी पर विश्वास नहीं हुआ, यह जानकर कि ब्राह्मण की बातें छल से भरी थीं। एक दिन जब ब्राह्मण को मौका मिला तो ब्राह्मण ने उस बच्चे को कुएं में गिरा दिया और घर लौटकर जब ब्राह्मण ने ब्राह्मण से पूछा कि बेटा मंगल कहां है? उसी समय मंगल पीछे से मुस्कुराता हुआ आता है और ब्राह्मण उसे वापस देखकर चौंक जाता है।
उसी रात हनुमान जी ने एक ब्राह्मण को सपने में दर्शन दिए और कहा कि उसने वह पुत्र ब्राह्मण को दे दिया है और सच्चाई जानकर ब्राह्मण बहुत खुश हुआ और ब्राह्मण पति-पत्नी नियमित रूप से हर मंगलवार का व्रत करने लगे। इसलिए इस प्रकार मंगलवार का व्रत करने वाले प्रत्येक व्यक्ति पर हनुमान जी की अपार कृपा बनी रहती है।
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