होली की तैयारी | Holi Ki Tayari PDF

नमस्कार मित्रों, आज इस लेख के माध्यम से हम आप सभी के लिए होली की तैयारी | Holi Ki Tayari PDF में प्रदान करने जा रहे हैं। होलिका दहन के दिन एक पवित्र अग्नि जलाई जाती तथा  जिसमें सभी तरह की बुराई, अंहकार और नकरात्मक सोच को  जलाया जाता है। और अगले दिन, लोग आपस में  रंग लगाकर त्योहार की बधाई देते हैं साथ ही नाच, गाने और स्वादिष्ट व्यंजनों के साथ इस पर्व का मजा लेते हैं। यह एक ऐसा दिन है जब सभी पुरुष और इस्तिरी  स्वतंत्र रूप से एक दूसरे को रंग – बिरंगे  लगाते  हैं।

यह माफ़ करने और बुराइयों  को भूलने का दिन है तथा इस दिन सब पुराने गिले-शिकवे, लड़ाई-झगड़े भुला कर दोस्ती नए तरीके से शुरु करते हैं और यह आनंद लेने का समय भी होता है। दूध से बने पारंपरिक पेय और होली के त्योहार पर इसका सेवन किया जाता है। इसे कई स्थानों पर स्वागत पेय या प्रसाद के रूप में भी परोसा जाता है। लड्डू, पकोड़े, हलवा और पूड़ी इत्यादि अनेक  तरह की  शानदार मिठाइयाँ और व्यंजन इस उत्सव का एक अभिन्न हिस्सा होंते हैं I क्योंकि कोई भी भारतीय त्यौहार भोजन के भव्य प्रसार के बिना अधूरा होता है।

होली की तैयारी | Holi Ki Tayari PDF

PDF Name होली की तैयारी | Holi Ki Tayari PDF in Hindi
Pages 1
Language Hindi
Category Religion & Spirituality
Source pdfinbox.com
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होलिका दहन

होली वाले दिन होलिका दहन किया जाता है। इसके पीछे एक प्राचीन कथा हैI कि दीति का पुत्र हिरण्यकश्यप भगवान विष्णु से अधिक शत्रुता रखता था। इसने अपनी शक्ति के घमंड में आकर स्वयं को भगवान कहना शुरू कर दिया और घोषणा कर दी कि राज्य में केवल उसी की पूजा की जाएगी। उसने अपने राज्य में हवन और आहुति बंद करवा दी और भगवान के भक्तों को परेशान करना शुरू कर दिया।

हिरण्यकश्यप का पुत्र प्रहलाद भगवान विष्णु का परम भक्त था। पिता के लाख कहने के बावजूद प्रहलाद विष्णु की भक्ति करता रहा। असुराधिपति हिरण्यकश्यप ने अपने पुत्र को मारने की भी कई बार कोशिश की, परंतु भगवान स्वयं उसकी रक्षा करते रहे और उसका बाल भी बांका नहीं हुआ।

होलीका दहन से जुड़ी धारणाएं है-

होली सांप्रदायिक सौहार्द का त्योहार है। दीवाली की तरह ही इस त्योहार को भी अच्छाई की बुराई पर जीत का त्योहार माना जाता है। हिंदुओं के लिए होली का पौराणिक महत्व भी है। इस त्योहार को लेकर सबसे प्रचलित है प्रहलाद, होलिका और हिरण्यकश्यप की कहानी।

होली की एक कहानी कामदेव की है मान्यता यह है कि पार्वती शिव से विवाह करना चाहती थीं लेकिन तपस्या में लीन  होने के कारण शिव का ध्यान  माता पार्वती उनकी ओर गया ही नहीं।

ऐसे में प्यार के देवता कामदेव आगे गए  और उन्होंने शिव पर पुष्प बाण चला दिया। तथा शिव को तपस्या भंग होने पर  इतना गुस्सा आया I

कि उन्होंने अपनी तीसरी आंख खोल दी और उनके क्रोध की आग  में कामदेव भस्म कर दिया गया । कामदेव के भस्म हो जाने पर उनकी पत्नी रोने लगीं और शिव से कामदेव को जीवित करने की गुहार लगाने लगी । अगले  दिन तक शिव का क्रोध शांत हो गया था I

कामदेव के मृत्यु  होने के बाद से होली का त्योहार मनाया  जाता है और उनके जीवित होने की खुशी में रंग -बिरंगे  रंगों से होली का त्योहार मनाया जाता है I

इस त्योहार को राधा और कृष्ण के प्रेम के रूप में देखा जाता है। वहीं पौराणिक कथा के अनुसार जब कंस को  श्रीकृष्ण के गोकुल में होने का पता चला तो  कंस ने  पूतना नामक राक्षसी को गोकुल में जन्म लेने वाले सभी बच्चो को मारने के लिए भेजा।

पूतना स्तनपान के बहाने शिशुओं को विषपान कराना था।  उन्होंने दुग्धपान करते समय ही पूतना का वध कर दिया। कहा जाता है Iजब से ही  होली का त्योहार मनाया जाता है।

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