गंगा सप्तमी व्रत कथा | Ganga Saptami Vrat Katha PDF in Hindi

नमस्कार पाठकों, इस लेख के माध्यम से आप गंगा सप्तमी व्रत कथा / Ganga Saptami Vrat Katha PDF in Hindi प्राप्त कर सकते हैं। गंगा सप्तमी के दिन गंगा नदी में नहाने को बहुत ही महत्वपूर्ण बताया गया है हिंदू धर्म के अनुसार जो भी व्यक्ति गंगा सप्तमी के दिन माता गंगा नदी में स्नान करता है उसके सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और वह मोक्ष की प्राप्ति करता है। हिंदू धर्म के अनुसार वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी को माता गंगा स्वर्ग लोक छोड़कर भगवान शिव की जटाओं में विराजमान हुई थी।

गंगा सप्तमी के दिन गंगा का पूजन करना और कथा का पाठ करना बहुत ही मंगलमय माना जाता है ऐसा करने से परिवार के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं और सुखों की प्राप्ति होती है आज इस लेख के माध्यम से आप गंगा सप्तमी कथा को आसानी से पढ़ सकते हैं। साथ ही नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करके इसकी पीडीएफ भी डाउनलोड कर सकते हैं।

 

गंगा सप्तमी व्रत कथा | Ganga Saptami Vrat Katha PDF in Hindi – सारांश

PDF Name गंगा सप्तमी व्रत कथा | Ganga Saptami Vrat Katha PDF in Hindi
Pages 1
Language Hindi
Source pdfinbox.com
Category Religion & Spirituality
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गंगा सप्तमी की कथा | Ganga Saptami Ki Katha

पौराणिक काल में भगीरथ नाम के एक पराक्रमी राजा हुआ करते थे। महर्षि कपिल के क्रोध की ज्वाला में भागीरथ के चौंसठ हजार पूर्वज जलकर भस्म हो गए और उन्हें कभी मोक्ष नहीं मिल सका। उनके पूर्वजों को गंगा जल से ही मोक्ष की प्राप्ति हो सकती थी, जिसके लिए देवी गंगा को धरती पर लाना आवश्यक था।

देवी गंगा को धरती पर लाने के लिए भगीरथ ने घोर तपस्या की, जिसे देखकर मां गंगा प्रसन्न हुईं और उनसे वरदान मांगने को कहा। राजा ने माता से पृथ्वी पर आने का अनुरोध किया ताकि उनके पूर्वजों की आत्मा को शांति मिले। मां गंगा धरती पर आने को राजी हो गईं। गंगा माँ ने भागीरथ से कहा कि यदि मैं स्वर्ग को छोड़कर सीधे पृथ्वी पर आती हूं तो पृथ्वी मेरे तेज और शक्ति को सहन नहीं कर पाएगी।

इस समस्या के समाधान के लिए देवी गंगा ने भागीरथ से भगवान शिव की पूजा करने को कहा। भगीरथ शिव की भक्ति में पूरी तरह से लीन हो गए और इससे प्रसन्न होकर स्वयं महादेव उनके सामने प्रकट हुए। जब भगवान शिव ने उनसे वरदान मांगने को कहा तो उन्होंने अपनी समस्या बताई।


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