नमस्कार मित्रों, आज इस लेख के माध्यम से हम आप सभी के लिए एकादशी माता की आरती / Ekadashi Mata Ki Aarti PDF in Hindi में प्रदान करने जा रहे हैं। हिंदू धर्म के अंतर्गत एकादशी व्रत बहुत ही महत्वपूर्ण है ऐसा माना जाता है कि जो भी व्यक्ति एकादशी माता की आरती का जाप निरंतर करता है उसे किसी प्रकार की जीवन में कठिनाई का सामना नहीं करना पड़ता। उसका जीवन उसका जीवन मंगलमय हो जाता है साथ ही माता की कृपा छाया उस पर बनी रहती है।
हिंदू पंचांग कैलेंडर के अनुसार वर्ष भर में 24 एकादशी का मुख्य रूप से मनाई जाती है जो कि प्रत्येक महीने के शुक्ल पक्ष और कृषि में पड़ती हैं। यदि आप एकादशी माता की आरती ढूंढ रहे हैं तो आप बिल्कुल सही जगह है यहां से आप बिना किसी परेशानी के एकादशी आरती को पढ़ सकते हैं तथा अपने मुख्य देव को प्रसन्न कर सकते हैं और बिना किसी परेशानी के इसके पीडीएफ डाउनलोड कर सकते हैं।
एकादशी माता की आरती | Ekadashi Mata Ki Aarti PDF in Hindi – सारांश
PDF Name | एकादशी माता की आरती | Ekadashi Mata Ki Aarti PDF in Hindi |
Pages | 3 |
Language | Hindi |
Category | Religion & Spirituality |
Source | pdfinbox.com |
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Ekadashi Aarti | Ekadashi Aarti lyrics
ॐ जय एकादशी, जय एकादशी, जय एकादशी माता।
विष्णु पूजा व्रत को धारण कर, शक्ति मुक्ति पाता॥
ॐ जय एकादशी…॥
तेरे नाम गिनाऊं देवी, भक्ति प्रदान करनी।
गण गौरव की देनी माता, शास्त्रों में वरनी॥
ॐ जय एकादशी…॥
मार्गशीर्ष के कृष्णपक्ष की उत्पन्ना, विश्वतारनी जन्मी।
शुक्ल पक्ष में हुई मोक्षदा, मुक्तिदाता बन आई॥
ॐ जय एकादशी…॥
पौष के कृष्णपक्ष की, सफला नामक है।
शुक्लपक्ष में होय पुत्रदा, आनन्द अधिक रहै॥
ॐ जय एकादशी…॥
नाम षटतिला माघ मास में, कृष्णपक्ष आवै।
शुक्लपक्ष में जया, कहावै, विजय सदा पावै॥
ॐ जय एकादशी…॥
विजया फागुन कृष्णपक्ष में शुक्ला आमलकी।
पापमोचनी कृष्ण पक्ष में, चैत्र महाबलि की॥
ॐ जय एकादशी…॥
चैत्र शुक्ल में नाम कामदा, धन देने वाली।
नाम बरुथिनी कृष्णपक्ष में, वैसाख माह वाली॥
ॐ जय एकादशी…॥
शुक्ल पक्ष में होय मोहिनी अपरा ज्येष्ठ कृष्णपक्षी।
नाम निर्जला सब सुख करनी, शुक्लपक्ष रखी॥
ॐ जय एकादशी…॥
योगिनी नाम आषाढ में जानों, कृष्णपक्ष करनी।
देवशयनी नाम कहायो, शुक्लपक्ष धरनी॥
ॐ जय एकादशी…॥
कामिका श्रावण मास में आवै, कृष्णपक्ष कहिए।
श्रावण शुक्ला होय पवित्रा आनन्द से रहिए॥
ॐ जय एकादशी…॥
अजा भाद्रपद कृष्णपक्ष की, परिवर्तिनी शुक्ला।
इन्द्रा आश्चिन कृष्णपक्ष में, व्रत से भवसागर निकला॥
ॐ जय एकादशी…॥
पापांकुशा है शुक्ल पक्ष में, आप हरनहारी।
रमा मास कार्तिक में आवै, सुखदायक भारी॥
ॐ जय एकादशी…॥
देवोत्थानी शुक्लपक्ष की, दुखनाशक मैया।
पावन मास में करूं विनती पार करो नैया॥
ॐ जय एकादशी…॥
परमा कृष्णपक्ष में होती, जन मंगल करनी।
शुक्ल मास में होय पद्मिनी दुख दारिद्र हरनी॥
ॐ जय एकादशी…॥
जो कोई आरती एकादशी की, भक्ति सहित गावै।
जन गुरदिता स्वर्ग का वासा, निश्चय वह पावै॥
ॐ जय एकादशी…॥
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