दोस्तों, यहां हमने अपने भक्तों के लिए दुर्गा आरती / Durga Aarti PDF in Hindi हिंदी में अपलोड की है। भारत एक त्योहारों का देश है इसके अंदर बहुत से त्योहारों को बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है और नवरात्रों में माता दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है ऐसा माना जाता है कि जो भी व्यक्ति माता की सच्चे मन से पूजा करता है उसके सभी कष्ट दूर हो जाते हैं। माता की कृपा उस पर बनी रहती है माता की पूजा करते समय पूजा थाली में कपूर या गाय के घी का दीपक अवश्य जलाना चाहिए।
माता की पूजा के दौरान माता की आरती अवश्य ही करनी चाहिए पूजा के समय पर शंख तथा घंटी भी बजनी चाहिए। ऐसा माना जाता है कि घंटी के बजने से घर की नकारात्मक शक्तियां खत्म हो जाती है। घर में पूर्ण रूप से शांति हो जाती है आज हम आप सभी के लिए माता की आरती लेकर आए हैं इसके जाप से अपने जीवन को सफल बना सकते हैं । बिना किसी परेशानी के आप इसकी पीडीएफ डाउनलोड कर सकते हैं।
दुर्गा आरती | Durga Aarti PDF in Hindi – सारांश
PDF Name | दुर्गा आरती | Durga Aarti PDF in Hindi |
Pages | 2 |
Language | Hindi |
Category | Religion & Spirituality |
Source | pdfinbox.com |
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Mata Durga Ki Aarti | Durga Mata Aarti Lyrics in Hindi
ॐ जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी ।
तुमको निशदिन ध्यावत, मैया जी को सदा मनावत, हरि ब्रह्मा शिवरी ।।
ॐ जय अम्बे गौरी ।
मांग सिंदूर विराजत, टीको मृगमद को ।
उज्ज्वल से दोउ नैना, निर्मल से दोउ नैना, चन्द्रबदन नीको ।।
ॐ जय अम्बे गौरी ।
कनक समान कलेवर,,रक्ताम्बर राजै ।
रक्त पुष्प गलमाला, लाल कुसुम गलमाला, कण्ठन पर साजै ।।
ॐ जय अम्बे गौरी ।
केहरि वाहन राजत, खड़ग खप्परधारी ।
सुर नर मुनिजन सेवत, सुर नर मुनिजन ध्यावत, तिनके दुखहारी ।।
ॐ जय अम्बे गौरी ।
कानन कुण्डल शोभित, नासाग्रे मोती ।
कोटिक चन्द्र दिवाकर, कोटिक चन्द्र दिवाकर, सम राजत ज्योति ।।
ॐ जय अम्बे गौरी ।
शुम्भ निशुम्भ विडारे, महिषासुर घाती ।
धूम्र विलोचन नैना, मधुर विलोचन नैना, निशदिन मदमाती ।।
ॐ जय अम्बे गौरी ।
चण्ड मुण्ड संघारे, शोणित बीज हरे ।
मधुकैटभ दोउ मारे, मधुकैटभ दोउ मारे, सुर भयहीन करे ।।
ॐ जय अम्बे गौरी ।
ब्रह्माणी रुद्राणी तुम कमला रानी ।
आगम निगम बखानी, चारों वेद बखानी, तुम शिव पटरानी ।।
ॐ जय अम्बे गौरी ।
चौसठ योगिनी गावत, नृत्य करत भैरू ।
बाजत ताल मृदंगा, बाजत ढोल मृदंगा, अरु बाजत डमरू ।।
ॐ जय अम्बे गौरी ।
तुम हो जग की माता, तुम ही हो भर्ता ।
भक्तन की दुख हरता, संतन की दुख हरता, सुख-सम्पत्ति करता ।।
ॐ जय अम्बे गौरी ।
भुजा चार अति शोभित, वर मुद्रा धारी ।
मनवांछित फल पावत, मनइच्छा फल पावत, सेवत नर नारी ।।
ॐ जय अम्बे गौरी ।
कंचन थाल विराजत, अगर कपूर बाती ।
श्री मालकेतु में राजत, धोळा गिरी पर राजत, कोटि रतन ज्योति ।।
ॐ जय अम्बे गौरी ।
श्री अम्बे जी की आरती, जो कोई नर गावै, मैया प्रेम सहित गावें ।
कहत शिवानन्द स्वामी, रटत हरिहर स्वामी, मनवांछित फल पावै ।।
ॐ जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी ।
तुमको निशदिन ध्यावत , मैया जी को सदा मनावत, हरि ब्रह्मा शिवरी ।।
ॐ जय अम्बे गौरी ।
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