दाऊजी महाराज की आरती | Dauji Maharaj ki Aarti PDF in Hindi

नमस्कार पाठकों, इस लेख के माध्यम से आप दाऊजी महाराज की आरती / Dauji Maharaj ki Aarti PDF in Hindi प्राप्त कर सकते हैं। जो भी व्यक्ति सच्चे दिल से दाऊजी महाराज की पूजा करता है उसे अपने जीवन में कभी भी किसी चीज की कमी नहीं होती उसके भंडार हमेशा सुख और शांति, धन से भरे रहते हैं उसकी रक्षा स्वयं बलभद्र जी करते हैं हिंदू धर्म के अनुसार दाऊजी महाराज को एक विशेष महत्व प्राप्त है भगवान श्री कृष्ण जी के अग्रज बलराम जी ही आज के जगत में दाऊजी के नाम से प्रसिद्ध है दोस्तों यदि आप दाऊजी महाराज की आरती ढूंढ रहे हैं तो आप बिल्कुल सही जगह आए हैं।

भगवान के स्मरण मात्र से ही जीवन की सभी समस्याएं नष्ट हो जाती है और सभी बुरी शक्तियां अपने आप दूर हो जाती हैं यदि आप भगवान दाऊजी महाराज जी की पूजा करना चाहते हैं तो आज हम आप सभी के लिए इस पोस्ट के माध्यम से आरती लेकर आए हैं यहां से आप निरंतर आरती का जाप कर भगवान का आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं साथ ही यदि आप लंबे समय तक भगवान का भजन कर आशीर्वाद प्राप्त करना चाहते हैं तो नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करके श्री दाऊजी महाराज जी की आरती पीडीएफ डाउनलोड करें।

दाऊजी महाराज की आरती | Dauji Maharaj ki Aarti PDF in Hindi – सारांश

PDF Name दाऊजी महाराज की आरती / Dauji Maharaj ki Aarti PDF in Hindi
Pages 2
Language Hindi
Source pdfinbox.com
Category Religion & Spirituality
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बलराम जी की आरती | Balram ji ki aarti


|| दाऊजी महाराज की आरती ||

जय बलदेव हरे, स्वामी जय बलदेव हरे ।
हे दुःख भंजन, रोहिणी नंदन, सब दुख दूर करे ।।
ॐ जय बलदेव हरे…

जय बलदेव हरे, स्वामी जय बलदेव हरे ।
हे दुःख भंजन, रोहिणी नंदन, सब दुख दूर करे ।।
ॐ जय बलदेव हरे…

में जग में भटका हु, पार करो बाबा । स्वामी पार करो बाबा
अपनी शरण लगाओ उद्धार करो बाबा ।।
ॐ जय बलदेव हरे…

माथे मुकुट विराजे, सिरे पंचरंग चीरा । स्वामी सि पचरंग चीरा
चन्दा के सम चमकै, ठोड़ी पै हीरा ।।
ॐ जय बलदेव हरे…

सुन्दर वस्त्र मनोहर, मन हरनी झांकी । स्वामी मन हरनी झांकी
आपने भक्त जनन पै, नजर करो बाँकी ।।
ॐ जय बलदेव हरे…

माखन मिश्री खावे, विजया भोग धरे । स्वामी विजया भोग धरे
सकल मनोरथ सारे , विपदा दूर करे ।।
ॐ जाये बलदेव हरे…

मैया संमुख विराजै, सबके दुःख हरनी । स्वामी सबके दुःख हरनी
सबकी करै सहाई, माँ मंगल करनी ।।
ॐ जय बलदेव हरे…

जो नर तुमको ध्यावै, कष्ट नहीं पावै । स्वामी कष्ट नहीं पावै
अमर प्रेम पद पावै, भाव से तर जावै ।।
ॐ जय बलदेव हरे…

सुन्दर ताल बानो है, क्षीर सागर न्यारो । स्वामी क्षीर सागर न्यारो
जो स्नान करै जन, मिट जाये दुःख सारो ।।
ॐ जय बलदेव हरे…

कृष्णचन्द्र वृन्दावन, महारास कीन्हौ । स्वामी महारास कीन्हौ
गिरि के ऊपर बैठे, सिंह रूप लीन्हो ।।
ॐ जय बलदेव हरे…

अजब अनौखी लीला, है ब्रज में भारी । स्वामी है ब्रज में भारी
वानर द्विविद गिराया, हलमूसल धारी ।।
ॐ जय बलदेव हरे…

दाऊ बाबा की आरती, जो जन नित गावै । स्वामी जो जन नित गावै
मान वाँछित फल पावै, मन – मन हरषावै ।।
ॐ जय बलदेव हरे…

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