नमस्कार पाठकों, इस लेख के माध्यम से आप चैत्र पुर्णिमा व्रत कथा / Chaitra Purnima Vrat Katha PDF in Hindi प्राप्त कर सकते हैं। मुख्य रूप से चैत्र पूर्णिमा व्रत कथा का पाठ चैत्र महीने के पूर्णिमा के दिन किया जाता है। हिंदू पंचांग के अंतर्गत दो प्रकार के पंचांग को दर्शाया जाता है। एक पंचांग पूर्णिमा तिथि को समाप्त होता है तथा दूसरा अमावस्या तिथि को पूर्ण हो जाता है जो पंचांग पूर्णिमा को समाप्त होता है उसे पूर्णिमान्त कहा जाता है। जो पंचांग अमावस्या को समाप्त होता है उसे आमंता पंचांग कहा जाता है। हिंदू धर्म के अंतर्गत सभी महीनों की पूर्णिमा को तिथि को बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है।
ऐसा माना जाता है कि कोई भी व्यक्ति जो किसी भी प्रकार की पीड़ा से ग्रसित है यदि वह पूर्णिमा का नियमित रूप से व्रत रखता है और भगवान की उपासना सच्चे दिल से करता है तो उसके दुख दर्द हमेशा के लिए दूर हो जाते हैं आज इस पोस्ट के माध्यम से आप बिना किसी परेशानी के चैत्र पूर्णिमा 2023 व्रत कथा को आसानी से पढ़ सकते हैं। साथ ही यदि आप इसकी पीडीएफ डाउनलोड करना चाहते हैं तो नीचे दिए गए बटन पर क्लिक करें। यदि आप किसी अन्य टॉपिक पर पीडीएफ प्राप्त करना चाहते हैं तो उस टॉपिक का नाम नीचे कमेंट बॉक्स में लिखें।
चैत्र पुर्णिमा व्रत कथा | Chaitra Purnima Vrat Katha PDF in Hindi – सारांश
PDF Name | चैत्र पुर्णिमा व्रत कथा | Chaitra Purnima Vrat Katha PDF in Hindi |
Pages | 2 |
Language | Hindi |
Source | pdfinbox.com |
Category | Religion & Spirituality |
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चैत्र पूर्णिमा की कथा | Chaitra Purnima Ki Katha PDF
पौराणिक कथा के अनुसार एक नगर में सेठ-सेठानी रहते थे। सेठानी नित्य भक्ति भाव से भगवान श्री हरि की पूजा करती थी, लेकिन उसके पति को सेठानी की पूजा बिल्कुल पसंद नहीं थी। इस वजह से एक दिन सेठ ने उसे घर से निकाल दिया। सेठानी घर छोड़कर जंगल की ओर चली गई। रास्ते में सेठानी ने देखा कि चार आदमी जंगल में मिट्टी खोद रहे हैं, यह देखकर सेठानी ने उनसे कहा कि मुझे किसी काम पर रख लो। सेठानी के कहने पर उसने सेठानी को काम पर रख लिया। लेकिन सेठानी बहुत कोमल थी, जिससे उसके हाथ में छाले पड़ गए। यह देख चारों लोगों ने सोठानी को काम छोड़ने के लिए कहा।
उसके बाद सेठ ने कहा कि मुझे नौकरी की जरूरत है और तुम मुझे नौकरी पर रख लो फिर चारों आदमियों ने उसे काम पर रख लिया परंतु जिस प्रकार सेठानी मिट्टी होती थी उस प्रकार मिट्टी खोदने से सेठ के हाथों में छाले पड़ गए यह सब देखने के बाद सेठ को घर का काम करने के लिए सलाह दी गई
उसने कहा कि इसके बजाय तुम हमारे घर का काम करो। जब सेठानी मान गई तो वे उसे अपने घर ले गए। वहां वे चार आदमी चार मुठ्ठी चावल लाकर आपस में बांट कर खा लेते। यह देखकर सेठानी को बहुत बुरा लगा। यह देखकर सेठानी ने उन चारों आदमियों से 8 मुट्ठी चावल लाने को कहा। सेठानी की बात मानकर वे चारों आदमी 8 मुठ्ठी चावल ले आए। सेठानी ने इन्हीं चावलों से भोजन बनाया और भगवान विष्णु को भोग लगाकर सभी पुरुषों को परोस दिया। इस बार चारों आदमियों को भोजन बहुत स्वादिष्ट लगा और सेठानी से भोजन की प्रशंसा करते हुए इसका रहस्य पूछा। तो सेठानी ने कहा कि यह भोजन भगवान विष्णु का झूठ है। इसलिए यह आपको स्वादिष्ट लगती है। उधर सेठानी के जाने के बाद सेठ भूखों मरने लगा। आसपास के लोग उसे ताने मारने लगे कि वह अपनी पत्नी के कारण ही खाना खा रहा है।
लोगों की बात सुनकर सेठ जंगल में सेठानी को देखने निकला। रास्ते में उसने वही चार आदमी मिट्टी खोदते हुए देखे। सेठ ने उससे कहा कि तुम मुझे नौकरी पर रख लो। फिर चारों आदमियों ने उसे भी काम पर रख लिया। लेकिन सेठानी की तरह मिट्टी खोदने से सेठ के हाथ में भी छाले पड़ गए। यह देखकर उसने सेठ को भी घर का काम करने की सलाह दी। सेठ ने भी उसकी बात मानी और अपने घर चला गया। घर पहुंचकर सेठ ने सेठानी को पहचान लिया, लेकिन सेठानी घूंघट में होने के कारण सेठ को पहचान नहीं पाई। हर दिन की तरह इस बार भी सेठानी ने भगवान विष्णु को भोग लगाने के बाद सभी को भोजन कराया। लेकिन जैसे ही सेठानी सेठ को भोजन परोसने लगी भगवान विष्णु ने सेठानी का हाथ पकड़ लिया और कहा कि यह क्या कर रही हो।
सेठानी बोली, मैं कुछ नहीं कर रही, भोजन परोस रही हूँ। चारों भाइयों ने सेठानी से कहा कि हमें भी भगवान विष्णु के दर्शन करा दो। सेठानी के अनुरोध पर, भगवान विष्णु उन सभी के सामने प्रकट हुए। यह देखकर सेठ ने सेठानी से माफी मांगी और उसका हाथ पकड़कर घर जाने को कहा। फिर चारों भाइयों ने ढेर सारा पैसा देकर बहन को विदा किया। तभी से सेठ भी भगवान विष्णु का भक्त बन गया और पूरी श्रद्धा से उनकी पूजा करने लगा। इससे उनके घर में फिर से पैसों की बरसात होने लगी। मान्यता है कि इस दिन व्रत रखने से भगवान सत्यनारायण के साथ-साथ हनुमान जी, भगवान श्रीराम और माता सीता की कृपा भी प्राप्त होती है।