बुध प्रदोष व्रत कथा | Budh Pradosh Vrat Katha PDF in Hindi

नमस्कार पाठकों, इस लेख के माध्यम से आप बुध प्रदोष व्रत कथा / Budh Pradosh Vrat Katha PDF in Hindi प्राप्त कर सकते हैं। हिंदू तिथि के अनुसार यह व्रत त्रयोदशी यानी 13वें दिन होता है त्रयोदशी अथवा प्रदोष व्रत महीने में दो बार आता है पहला व्रत शुक्ल पक्ष को तथा दूसरा व्रत कृष्ण पक्ष को होता है इस व्रत में भगवान शिव अर्थात महादेव की पूजा की जाती है इस व्रत को करने से सभी पाप नष्ट हो जाते हैं जो भी सुहागन नारी इस व्रत को रखती है उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।

कोई भी व्यक्ति पूर्ण निष्ठा, आस्था, श्रद्धा, सच्चे मन से यह व्रत करता है तो उसे मनचाही वस्तु की प्राप्ति होती है और भगवान शिव की कृपा सदा उस पर बनी रहती है उसे और उसके परिवार को कभी भी जीवन में किसी भी प्रकार की समस्या का सामना नहीं करना पड़ता। इस लेख के माध्यम से आप बुध प्रदोष व्रत कथा को पढ़ सकते हैं। साथ ही आप उसकी पीडीएफ नीचे दिए गए बटन पर क्लिक करके डाउनलोड कर सकते हैं। ऐसी ही अन्य धार्मिक पोस्ट प्राप्त करने के लिए क्लिक करें। यदि आप किसी अन्य टॉपिक से संबंधित पोस्ट प्राप्त करना चाहते हैं तो नीचे कमेंट बॉक्स में बताएं।

 

बुध प्रदोष व्रत कथा | Budh Pradosh Vrat Katha PDF in Hindi – सारांश

PDF Name बुध प्रदोष व्रत कथा | Budh Pradosh Vrat Katha PDF in Hindi
Pages 1
Language Hindi
Source pdfinbox.com
Category Religion & Spirituality
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बुध प्रदोष व्रत की कहानी | Budh Pradosh Vrat Ki Kahani

 

यह बहुत पुरानी बात है कि एक आदमी ने नई शादी की थी। उस आदमी के ससुर, ससुर, ननद ने समझाया कि बुधवार के दिन पत्नी को ले जाना शुभ नहीं होता। लेकिन वह आदमी नहीं माना, मजबूर होकर सास-ससुर ने भारी मन से अपने दामाद और बेटी को विदा किया। पति-पत्नी बैलगाड़ी से जा रहे थे।
किसी नगर से बाहर निकलते ही पत्नी को प्यास लगी। पति अपनी पत्नी के लिए घड़ा लेकर पानी लेने गया, जब पानी लेकर लौटा तो देखा कि उसकी पत्नी किसी अजनबी के लाए हुए मटके से पानी पीकर हंस-हंस कर बातें कर रही है। वह पराया आदमी उसी की शक्ल का था।
यह देख वह व्यक्ति आगबबूला हो गया और अजनबी से मारपीट करने लगा। धीरे-धीरे कॉफी की भीड़ वहां जमा हो गई और सिपाही भी आ गए।सिपाही ने महिला से सच-सच बताने को कहा कि इन दोनों में तुम्हारा पति कौन है। लेकिन महिला चुप रही, क्योंकि दोनों पुरुष हमशक्ल थे। इतने में वह अपनी पत्नी को लुटता देख मन ही मन भगवान शंकर की स्तुति करने लगा।हे भगवान मुझे और मेरी पत्नी को इस मुसीबत से बचा लो। बुधवार को अपनी पत्नी को विदा कर मैंने जो अपराध किया है, उसके लिए मुझे क्षमा करें।
मैं भविष्य में ऐसी गलती कभी नहीं करूंगा। भगवान शिव उनकी प्रार्थना से मोहित हो गए और दूसरा व्यक्ति उसी समय मंत्रमुग्ध हो गया। इसके बाद वह अपनी पत्नी को लेकर सकुशल अपने नगर पहुंच गया। इसके बाद दोनों पति-पत्नी बुधवार को नियमित रूप से प्रदोष व्रत रखेंगे।
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