बिंदायक जी की कहानी | Bindayak Ji Ki Kahani PDF

नमस्कार पाठकों, इस लेख के माध्यम से आप बिंदायक जी की कहानी / Bindayak Ji Ki Kahani PDF प्राप्त कर सकते हैं। जो भी व्यक्ति बिंदायक की कथा का श्रवण करता है वह श्रवण मात्र से तृप्त हो जाता है। उसके जीवन से सभी कष्ट समाप्त हो जाते हैं भगवान गणेश को संपूर्ण भारत वर्ष में सर्वप्रथम पूजा जाता है।

यदि कोई भी व्यक्ति अपना कार्य शुरू करता है तब भी भगवान गणेश की पूजा का सर्वप्रथम प्रावधान है। क्योंकि इन्हे वरदान प्राप्त है कि सबसे पहले इनकी पूजा की जाएगी भगवान गणेश एक अन्य नाम बिंदायक से भी जाना जाता है। आज इस लेख के माध्यम से आप बिना किसी परेशानी के बिंदायक महाराज की कहानी पढ़ सकते हैं। साथ ही नीचे दिए गए डाउनलोड बटन पर क्लिक करके इसकी पीडीएफ डाउनलोड कर सकते हैं।

 

बिंदायक जी की कहानी | Bindayak Ji Ki Kahani PDF – व्याख्या

PDF Name बिंदायक जी की कहानी | Bindayak Ji Ki Kahani PDF
Pages 2
Source pdfinbox.com
Language Hindi
Category Religion & Spirituality
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बिंदायक जी की कथा | Bindayak Ji Ki Katha

एक ब्राह्मण था जो रोज सुबह उठकर गंगा जी में स्नान करने जाता था और आकर बिन्दायक जी की पूजा करता था और बिन्दायक जी की कथा सुनता था। उसकी पत्नी को पूजा करना अच्छा नहीं लगता था और वह नाराज हो जाती थी और कहती थी कि तुम सवेरे पूजा करने बैठो, मैं झाडू लगाती हूं, मैं घर का काम करती हूं, तुम्हें कोई काम है क्या?

ब्राह्मण ने उसकी एक भी नहीं सुनी। एक दिन ब्राह्मण गंगा जी स्नान करने गए और ब्राह्मण ने बिन्दायक जी को पीछे से छुपा लिया। वापस आकर ब्राह्मण ने कहा कि बिन्दायक जी की मूर्ति कहाँ गई तो ब्राह्मण ने कहा कि पता नहीं कहाँ चली गई। ब्राह्मण ने भोजन नहीं किया और पानी भी नहीं पिया। राम ने कहा कि जब तक मैं बिन्दायक जी की पूजा नहीं करता तब तक मैं जल ग्रहण नहीं कर सकता। मैं बिन्दायक जी का पूजन करके ही अन्न जल ग्रहण करूँगा।

ब्राह्मण ने ब्राह्मण को भोजन करने के लिए बहुत समझाया पर उसने भोजन नहीं किया। दोनों को लड़ते-झगड़ते देख विनायक जी की मूर्ति हंसने लगी तो ब्राह्मण ने क्रोधित होकर कहा कि मूर्ति वहीं रखी है। उसके बाद ब्राह्मण ने विनायक जी की पूजा की। तभी अचानक विनायक जी की मूर्ति ने कहा कि बहुत दिन हो गए आपको मेरी सेवा किये हुए। कुछ मांग

ब्राह्मण ने कहा कि मैं भोजन मांग लूं, मैं धन मांग लूं, संसार में जो भी सुख है, वह सब मांग लूं। तब विनायक जी ने सभी ब्राह्मणों को सारा सुख, धन और भोजन दिया। ब्राह्मण मूर्ति को मंदिर में रखकर पूजा करने लगा। ब्राह्मणी को इतना अन्न और धन मिला कि उसे भी उसकी पूजा करने की भक्ति प्राप्त हो गई और उसने भी ब्राह्मण को बताकर मूर्ति को घर में रख दिया और बड़े प्रेम से पूजा करने लगी।

हे बिंदायक भगवान जिस प्रकार आपने ब्राह्मण को सुख प्रदान किए उसी प्रकार जो भी व्यक्ति यह कथा सुने उन सभी को वैसे ही सुख और शांति प्रदान करना

बोलिए गणेश भगवान की जय

 

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