अमावस्या व्रत कथा | Amavasya Vrat Katha PDF in Hindi

हेलो दोस्तों, अगर आप अमावस्या व्रत कथा / Amavasya Vrat Katha PDF in Hindi ढूंढ कर रहे हैं तो आप सही पेज पर हैं। हिंदू पंचांग के अनुसार अमावस्या का दिन होता है जिस दिन चंद्रमा को नहीं देखा जा सकता है चंद्रमा 28 दिनों में चंद्रमा पृथ्वी का चक्कर पूरा लगता है चंद्रमा पृथ्वी के दूसरे 15 दिन तक रहता है जिस समय अवधि के दौरान चंद्रमा दिखाई नहीं देता तो सही हिंदू वर्ष में अमावस्या कहा जाता है अमावस्या के दिन पीपल की पूजा को विशेष महत्व प्राप्त है।

हिंदू धर्म के अंतर्गत अमावस्या एक विशेष महत्त्व प्राप्त है हिंदू धर्म के अंतर्गत अमावस्या को गुजर गए पूर्वजों के दिन के रूप में भी मनाया जाता है अमावस्या के दिन प्रात काल स्नान करके भगवान का ध्यान लगाना चाहिए आज हम आप सभी के लिए व्रत कथा लेकर आए है यहाँ से आप आसानी से पढ़ सकते है साथ ही अमावस्या व्रत पीडीऍफ़ फॉर्मेट में डाउनलोड करने के लिए निचे दिए गए लिंक पर क्लिक करे आप इसे अपने दोस्तों के साथ भी निचे दिए गए शेयर बटन पर क्लिक करके शेयर कर सकते है।

अमावस्या व्रत कथा | Amavasya Vrat Katha PDF in Hindi – सारांश

PDF Name अमावस्या व्रत कथा | Amavasya Vrat Katha PDF in Hindi
Pages 1
Language Hindi
Source pdfinbox.com
Category Religion & Spirituality
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अमावस्या की कथा | Amavasya Ki Katha

एक नगर में एक गरीब ब्राह्मण परिवार रहता था। उसके घर में एक पुत्री थी, जो बहुत ही सुन्दर थी। लेकिन उसकी शादी नहीं हो रही थी। एक दिन एक साधु उसके घर आया और उस कन्या की सेवा से प्रसन्न होकर उसका हाथ देखा। उन्होंने बताया कि उनके हाथ में विवाह रेखा नहीं है।

साधु ने बताया कि एक गांव में सोने की धुलाई होती है। यदि यह कन्या उसकी सेवा करे और वह इस कन्या के विवाह के समय अपने मांग का सिंदूर इस कन्या को लगा दे तो इसका विधवापन दूर हो जाएगा। तब ब्राह्मण पिता ने पुत्री को धोबी की सेवा करने को कहा। पिता के कथन के अनुसार वह लड़की रोज सुबह सोना धोबन के घर जाती थी और उसके घर की साफ-सफाई के साथ सारा काम करके वापस घर आती थी।

सोना धोबन ने बहू से कहा कि आजकल तुम घर का काम बहुत जल्दी कर लेती हो, पता भी नहीं चलता। फिर उसने कहा कि वह कोई काम नहीं करती। पता नहीं ये सब कौन करता है अगले दिन से सास-बहू निगरानी करने लगीं। काफी देर बाद सोना धोबन ने उस लड़की को पकड़ लिया और उससे पूछा कि तुम इतने दिनों से मेरे यहां ये सब काम क्यों कर रही हो। फिर उसने सोना धोबन को सारी बात बताई। सोने की धुलाई की जाती है।

जैसे ही उसने अपना सिंदूर उस कन्या की मांग में लगाया, उसके पति की मृत्यु हो गई। वे कई दिनों से बीमार थे। एक ब्राह्मण परिवार के घर से लौटते समय सोना धोबन ने 108 ईंटों की भंवरी रास्ते में पड़ने वाले पीपल के पेड़ को दी और उसकी 108 बार परिक्रमा की। इसके बाद पानी पिया। उस दिन वह सुबह से उपवास कर रही थी और बिना पानी पिए थी। पीपल की परिक्रमा करते ही उसका पति जीवित हो गया। उस दिन सोमवती अमावस्या थी।

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार जो महिला सोमवती अमावस्या से भंवरी देने की परंपरा शुरू करती है और हर अमावस्या को भंवरी देती है। उसके सुख-सौभाग्य में वृद्धि होती है।

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