नमस्कार दोस्तों, इस लेख के द्वारा हम आपको सोमवती अमावस्या व्रत कथा / Somvati Amavasya Vrat Katha PDF प्रदान करने जा रहे है। हिंदू पंचांग के अनुसार प्रत्येक महीने में अमावस्या आती है। जब अमावस्या सोमवार के दिन पड़ती है तो इसे सोमवती अमावस्या के नाम से जाना जाता है। इस अमावस्या को बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन व्रत बहुत ही फलदाई होता है इसका वर्णन प्राचीन ग्रंथों में भी दिया गया है। कोई भी विवाहित स्त्री यदि इस दिन व्रत रखती है तो उसके पति की आयु में वृद्धि होती है।
इस अमावस्या को व्रत रखने से पित्र दोष का भी निवारण हो जाता है। जो भी व्यक्ति अपने जीवन में किसी प्रकार की समस्या का सामना कर रहा है उसे इस दिन व्रत अवश्य ही रखना चाहिए। इस दिन यदि आप गंगा में स्नान करते हैं तो इसका फल निश्चित ही मिलता है। इस पोस्ट के माध्यम से आप सोमवती अमावस्या की कथा को पढ़ सकते हैं। और नीचे दिए गए डाउनलोड बटन पर क्लिक करके पीडीएफ प्राप्त कर सकते हैं।
सोमवती अमावस्या व्रत कथा | Somvati Amavasya Vrat Katha PDF – सारांश
PDF Name | सोमवती अमावस्या व्रत कथा | Somvati Amavasya Vrat Katha PDF |
Pages | 2 |
Language | Hindi |
Source | pdfinbox.com |
Category | Religion & Spirituality |
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सोमवती अमावस्या कथा | Somvati Amavasya Katha PDF
प्राचीन कथा के अनुसार, एक बार एक गांव में गरीब ब्राह्मण का परिवार रहता था। उसके परिवार में वह उसकी पत्नी और एक पुत्री थी। समय के साथ साथ पुत्री बड़ी हो रही थी उम्र बढ़ने के साथ-साथ पुत्री में स्त्रियोचित गुणों का भी विकास हो रहा था। ब्राह्मण की पुत्री बहुत ही सुंदर, संस्कारवान और गुणवान थी। ब्राह्मण गरीब था इसलिए उसका विवाह नहीं कर पा रहा था।
एक दिन की बात है कि उस ब्राह्मण के घर एक साधु आते हैं जब वे उस कन्या के सेवा भाव को देखते हैं तो काफी प्रसन्न हो जाते हैं। और उस कन्या को लंबी आयु का आशीर्वाद देते हुए कहते हैं कि इस कन्या की हथेली में विवाह की रेखा नहीं है। यह सुनकर ब्राह्मण ने उस साधु से पूछा कि ऐसा क्या किया जाए कि जिससे कन्या का विवाह हो जाए। साधु ने काफी देर विचार किया और बताया कि थोड़ी दूर एक गांव में धोबिन जाति की सोना नाम की महिला अपने बेटे और बहू के साथ रहती है जो बहुत ही संस्कार संपन्न और पति परायण है।
यदि आपकी बेटी उसकी सेवा करती है तो सोना महिला इसकी मांग में अपनी मांग का सिंदूर लगा दे तो उससे इसकी शादी हो सकती है साधु ने बताया कि वह महिला कहीं भी आती-जाती नहीं है यह बात सुनकर ब्राह्मण अपनी बेटी से धोबिन की सेवा करने के लिए कहता है। यह सब सुनने के पश्चात अगले दिन ही कन्या धोबिन के घर पहुंच कर उसका सारा काम करने के बाद घर वापस आ जाती है।
एक दिन सोना धोबिन अपनी बहू से पूछने लगती है कि तुम तो सुबह बहुत जल्दी उठ कर सारा काम कर लेती हो और मुझे पता भी नहीं चल पाता। बहू कहती है कि मैं यह सोच रही थी कि आप सारा घर का काम कर लेती है और मुझे नहीं पता चलता। अब दोनों सास बहू यह सोचने लगती है कि यदि हम घर का काम नहीं कर रहे तो घर का काम कौन कर के चला जाता है।
अगले दिन वह सुबह जल्दी उठकर निगरानी पर बैठ जाती है वह देखती है कि एक कन्या सुबह अंधेरे में आती है और घर का सारा काम करके चली जाती है। जब वह कन्या घर का सारा काम करके जा रही थी तो धोबिन उसके पैरों में गिर जाती है और पूछने लगती है कि तुम कौन हो। और इस तरह से छुपकर मेरा काम क्यों कर जाती हो। ब्राह्मण की कन्या साधु द्वारा कहीं गई संपूर्ण बात उसे बताती है सोना धोबिन पति परायण थी वह तैयार हो जाती है। उस समय उसके पति थोड़े अस्वस्थ थे। वह जाते समय अपनी बहू से कह जाती है कि मेरे लौटने तक घर ही रहना।
जब धोबिन अपनी मांग का सिंदूर उस कन्या की मांग में लगाती है तो इससे उसका पति मर जाता है जैसे ही यह बात धोबिन को पता चली तो वह घर से यह सोचकर चलती है कि कहीं रास्ते में पीपल का पेड़ मिलेगा तो उस उसे भंवरी देकर और परिक्रमा करने के पश्चात ही वह जल ग्रहण करेगी क्योंकि वह घर से निराजल ही चली थी। और उस दिन सोमवती अमावस्या का दिन था। ब्राह्मण के घर पहुंचने के पश्चात उसने पूरे पकवान नहीं खाए उसकी जगह उसने ईट के 108 बार टुकड़े करके पीपल के वृक्ष को 108 बार भंवरी देकर परिक्रमा की। और उसके पश्चात ही तक जल ग्रहण किया।
ऐसा करने से उसके पति फिर से जीवित हो गया उसी दिन से सोमवती अमावस्या का महत्व स्थापित हो गया। पीपल के वृक्ष को पर देवों का वास होता है जो भी व्यक्ति इस अमावस्या के दिन व्रत कथा को ध्यान से सुनता है भगवान निश्चित ही उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं।
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