नमस्कार दोस्तों, आज इस पोस्ट के माध्यम से हम आप सभी के लिए शनि प्रदोष व्रत कथा / Shani Pradosh Vrat Katha PDF लेकर आए हैं। प्रदोष व्रत भगवान शिव,माता पार्वती और भगवान शनि देव जी को समर्पित है इस व्रत को करने से संपूर्ण अक्षय फलों की प्राप्ति होती है। हिंदू पंचांग के अनुसार प्रदोष व्रत प्रत्येक महीने कृष्ण और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को आता है। भगवान शिव के भक्तों के लिए सभी प्रदोष व्रत बहुत ही महत्वपूर्ण और पूजनीय होते हैं। यह व्रत निस्संतान दंपत्तियों के लिए वरदान है।
इस दिन भगवान शिव की पूजा शाम के समय की जाती है इसी कारण इसे प्रदोष व्रत के नाम से भी जाना जाता है। आपको इस दिन व्रत रखकर निस्वार्थ भाव से भगवान शिव, माता पार्वती और भगवान शनि देव की आराधना अवश्य ही करनी चाहिए। आप इस व्रत को रखकर यदि कथा का पाठ करते हैं तो निश्चित ही भगवान की कृपा आप पर होगी। आप Shani Pradosh Vrat Ki Katha को पढ़ने के लिए इस पोस्ट पर बने रहे। कथा को पीडीएफ फॉर्मेट में डाउनलोड करने के लिए नीचे डाउनलोड पीडीएफ बटन पर जाकर बिना किसी परेशानी के डाउनलोड करें।
शनि प्रदोष व्रत कथा | Shani Pradosh Vrat Katha PDF – सारांश
PDF Name | शनि प्रदोष व्रत कथा / Shani Pradosh Vrat Katha PDF |
Pages | 1 |
Language | Hindi |
Our Website | pdfinbox.com |
Category | Religion & Spirituality |
Source | pdfinbox.com |
Download PDF | Click Here |
Shani Pradosh Vrat Katha In Hindi
शनि प्रदोष व्रत कथा के अनुसार प्राचीन समय में एक नगर में एक व्यापारी था। सेठजी के घर में सभी प्रकार की सुख-सुविधाएं थीं, लेकिन संतान न होने के कारण सेठजी और सेठानी हमेशा दुखी रहते थे। काफी सोच-विचार के बाद सेठजी ने अपना काम नौकरों को सौंप दिया और स्वयं सेठानी के साथ तीर्थ यात्रा पर निकल पड़े।
अपने नगर से बाहर निकलने पर उनकी मुलाकात एक साधु से हुई, जो ध्यान में बैठे थे। सेठजी ने सोचा, क्यों न साधु से आशीर्वाद लेकर यात्रा पर आगे बढ़ा जाए। सेठजी और सेठानी साधु के पास बैठ गए। जब साधु ने आंखें खोलीं तो उन्हें पता चला कि सेठ और सेठानी काफी देर से आशीर्वाद की प्रतीक्षा कर रहे हैं।
साधु ने सेठ और सेठानी से कहा कि मैं तुम्हारा दुख जानता हूं। तुम्हें शनि प्रदोष व्रत करना चाहिए, इससे तुम्हें संतान सुख की प्राप्ति होगी। साधु ने सेठ-सेठानी को प्रदोष व्रत की विधि भी बताई और भगवान शंकर से निम्न प्रार्थना भी कही।
दोनों ने साधु से आशीर्वाद लिया और तीर्थ यात्रा के लिए आगे बढ़ गए। तीर्थ यात्रा से लौटने के बाद व्यापारी और उसकी पत्नी ने मिलकर शनि प्रदोष व्रत किया, जिसके प्रभाव से उनके घर एक सुंदर पुत्र का जन्म हुआ और उनका जीवन खुशियों से भर गया।
नीचे दिए गए बटन पर क्लिक करके आप शनि प्रदोष व्रत कथा / Shani Pradosh Ki Vrat Katha PDF डाउनलोड कर सकते हैं।