नमस्कार पाठकों, इस लेख के माध्यम से आप सकट चौथ व्रत कथा / Sakat Chauth Vrat Katha PDF प्राप्त कर सकते हैं। हिंदू धर्म के अंतर्गत सकट चौथ व्रत को बहुत ही अधिक फलदाई माना जाता है। इस व्रत को विवाहित स्त्रियों के द्वारा रखा जाता है। इस व्रत में भगवान गणेश जी की पूजा की जाती है। कोई भी विवाहित स्त्री जो अपने बच्चों की आयु में वृद्धि करना चाहती है उसे इस व्रत को अवश्य ही रखना चाहिए। इस व्रत को रखने से परिवार में सुख, शांति, समृद्धि की स्थापना होती है और भगवान गणेश का आशीर्वाद उस परिवार पर हमेशा बना रहता है।
प्रत्येक साल में 12 संकष्टि चतुर्थी व्रत आते हैं यदि इस व्रत को पूर्ण विधि-विधान से किया जाए तो निश्चित ही फल की प्राप्ति होती है। यह एक निर्जला व्रत है इस व्रत में पानी पीना वर्जित है। इस पोस्ट के माध्यम से आप सकट चौथ कथा को पढ़ सकते हैं। और नीचे दिए गए डाउनलोड बटन पर क्लिक करके कथा की पीडीएफ डाउनलोड कर सकते हैं।
सकट चौथ व्रत कथा | Sakat Chauth Vrat Katha PDF – सारांश
PDF Name | सकट चौथ व्रत कथा | Sakat Chauth Vrat Katha PDF |
Pages | 1 |
Language | Hindi |
Source | pdfinbox.com |
Category | Religion & Spirituality |
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सकट चौथ की व्रत कथा | Sakat Chauth Ki Vrat Katha
प्राचीन कथा के अनुसार एक हरिश्चंद्र नाम का राजा था। उसके राज्य में एक कुम्हार रहता था। वह मिट्टी के बर्तन बनाता परंतु फिर भी बर्तन कच्चे रह जाते थे। एक पुजारी ने उस कुम्हार को सलाह दी कि यदि तुम इस समस्या से छुटकारा पाना चाहते हो तो एक छोटे बच्चे को मिट्टी के बर्तनों के साथ ही आंवा में डाल दो। कुम्हार ने समस्या से छुटकारा पाने के लिए एक छोटे बच्चे को बर्तनों के साथ आवा में डाल दिया।
जिस दिन बच्चे को डाला गया उस दिन संकष्टी चतुर्थी का दिन था। उस बच्चे की मां बहुत ही परेशान थी। काफी ढूंढने के बाद भी उसको उसका बच्चा नहीं मिल रहा था।अंत में आकर उसने भगवान गणेश से प्रार्थना की। अगले दिन जब कुमार सुबह आवा को देखता है तो उसमें रखे सभी बर्तन पक गए थे परंतु बच्चा बिल्कुल सही सलामत था। इसे देखकर कुम्हार डर गया और राजा के दरबार में जाकर पूरी घटना बताई।
जब राजा ने यह बात सुनी तो उसने उस बच्चे और उसकी मां को बुलाया। बच्चे की मां ने उसे संकष्टी चतुर्थी व्रत की महिमा का वर्णन किया। इसी घटना के बाद से सभी महिलाओं ने परिवार के सौभाग्य और संतान के सुख के लिए इस व्रत को रखना शुरू किया।
जो भी इस व्रत कथा को ध्यान से सुनता है। भगवान गणेश उस पर सदैव अपनी कृपा बनाए रखते हैं।
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