नमस्कार पाठकों, इस लेख के माध्यम से आप दूर्वा गणपति व्रत कथा / Durva Ganpati Vrat Katha PDF प्राप्त कर सकते हैं। सावन के महीने में कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को गणेश जी की पूजा को बहुत ही फलदाई और अच्छा माना जाता है क्योंकि इस तिथि के स्वामी भगवान गणेश जी होते हैं। शुक्ल पक्ष वाली चतुर्थी को ज्यादा खास माना जाता है। और इसे दूर्वा गणपति चौथ के नाम से भी जाना जाता है।
इस दिन भगवान गणेश जी को दूर्वा ( एक विशेष घास ) चढ़ाकर पूजन किया जाता है। ऐसा करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती है और परिवार में समृद्धि बढ़ती है। इस व्रत का वर्णन शिव पुराण, गणेश पुराण, और जिक्र सकंद में भी किया गया है। हिंदू धर्म के अंतर्गत दूर्वाघास के पत्तों को विशेष महत्व प्राप्त है। आप इस पोस्ट के माध्यम से दूर्वा व्रत कथा / Durva Vrat Katha को पढ़ सकते हैं। और पोस्ट के लास्ट में दिए गए डाउनलोड पीडीएफ बटन पर क्लिक करके कथा की पीडीएफ डाउनलोड कर सकते हैं।
दूर्वा गणपति व्रत कथा | Durva Ganpati Vrat Katha PDF – सारांश
PDF Name | दूर्वा गणपति व्रत कथा | Durva Ganpati Vrat Katha PDF |
Pages | 1 |
Language | Hindi |
Our Website | pdfinbox.com |
Category | Religion & Spirituality |
Source / Credits | pdfinbox.com |
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दूर्वा गणपति व्रत 2023 | Durva Ganpati Vrat 2023
पौराणिक कथा के अनुसार, अनलासुर नामक राक्षस ने स्वर्ग और पृथ्वी पर उत्पात मचा रखा था। अनलासुर ऋषि-मुनियों और आम लोगों को जिंदा निगल जाता था। राक्षस से परेशान होकर देवी-देवता और ऋषि-मुनि महादेव से प्रार्थना करने गए। शिवजी ने कहा कि केवल गणेश ही अनलासुर का वध कर सकते हैं। तब सभी ने गणेश जी से प्रार्थना की।
जब श्रीगणेश ने अनलासुर को निगल लिया तो उनके पेट में जलन होने लगी। काफी उपाय करने के बाद भी जलन शांत नहीं हो रही थी। उसके बाद ऋषि कश्यप जी ने दुर्वा घास की 21 गांठें बनाकर भगवान गणेश को दी। जैसे ही भगवान गणेश जी ने दुर्वा खाई तो उससे उनके पेट की जलन बिल्कुल शांत हो गई और तभी से भगवान गणेश जी पर दूर्वा चढ़ाने की परंपरा शुरू हो गई।
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