ब्रह्मचारिणी माता कथा | Brahmacharini Mata Katha PDF

नमस्कार दोस्तों, आज इस पोस्ट में हम आप सभी के लिए ब्रह्मचारिणी माता कथा / Brahmacharini Mata Katha PDF लेकर आए हैं। वर्ष 2024 में नवरात्रो की शुरुआत 9 अप्रैल से हो चुकी है। और नवरात्रों में दूसरे दिन माता ब्रह्मचारिणी जी की पूजा की जाती है। उनके नाम काअर्थ समझे तो ब्रह्मा का अर्थ होता है तपस्या और चारणी अर्थ आचरण करना होता है अर्थात आचरण करने वाली।

माता ब्रह्मचारिणी को अविवाहित माना जाता है। जो भी व्यक्ति अपनी पूर्ण आस्था के साथ माता की पूजा करता है उसकी शक्ति में वृद्धि होती है साथ ही सुख, समृद्धि, शांति की प्राप्ति होती है। यदि आप इस कथा काअध्ययन पूर्ण विधि विधान से कर माता की पूजा करते हैं तो आपकी मनचाही इच्छा पूर्ण होगी। इस पोस्ट के माध्यम से आप नवरात्रि दूसरे की कथा / Navratri Dusre Din Ki Katha आसानी से पढ़ सकते हैं। और इस कथा को डाउनलोड करने के लिए नीचे दिए गए डाउनलोड पीडीएफ बटन पर क्लिक करें।

ब्रह्मचारिणी माता कथा | Brahmacharini Mata Katha PDF

ब्रह्मचारिणी माता की कथा / Brahmacharini Mata Ki Katha

धार्मिक मान्यता के अनुसार मां ब्रह्मचारिणी का जन्म पर्वतराज हिमालय के घर हुआ था। इसके बाद नारद की सलाह मानकर उन्होंने भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए कठोर तपस्या की। उनकी कठोर तपस्या के कारण उन्हें ब्रह्मचारिणी कहा जाता है। ऐसा कहा जाता है कि देवी ने अपनी तपस्या के पहले 1000 वर्ष केवल फल और फूल खाकर बिताए, इसके बाद 100 वर्षों तक जमीन पर बैठकर सब्जियों पर निर्भर रहीं और बारिश और धूप की परवाह किए बिना अपनी तपस्या जारी रखी।

3000 वर्षों तक उन्होंने केवल टूटे हुए बिल्व पत्र खाए और भगवान शिव की पूजा की। अंततः उसने भी बिल्वपत्र लेना बंद कर दिया और फिर निर्जला व्रत रखकर तपस्या करने लगी। देवी की घोर तपस्या के कारण उनका शरीर पूरी तरह थक गया था। बाद में, उन्होंने पत्ते खाना बंद कर दिया और देवी का नाम अपर्णा रखा।

देवी की कठोर तपस्या से प्रसन्न होकर ऋषि-मुनियों और सिद्धों ने उन्हें प्रणाम किया और कहा, “देवी, इस कठोर तपस्या का फल तुम्हें अवश्य मिलेगा, महादेव तुम्हारे पति हैं।”

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