आज की मुरली PDF | Aaj Ki Murli PDF in Hindi

नमस्कार पाठकों, इस लेख के माध्यम से आप आज की मुरली PDF / Aaj Ki Murli PDF in Hindi प्राप्त कर सकते हैं। आज हम इस पोस्ट के माध्यम से आज की मुरली से संबंधित सभी जानकारी प्रदान करने जा रहे है यदि आप आज की मुरली से सम्बंधित सभी जानकारी लेना चाहते है तो इस पोस्ट को अंत तक अवश्य पढ़े।

ब्रह्मा कुमारियों, जिन्हें ओम मंडली के जाना जाता है यह एक आध्यात्मिक आंदोलन है इसकी शुरुवात 1930 में हैदराबाद, सिंध में हुई यहां से अपना किसी परेशानी के नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करके आज की मुरली को पीडीएफ फॉर्मेट में भी डाउनलोड कर सकते हैं।

आज की मुरली PDF | Aaj Ki Murli PDF in Hindi – सारांश

PDF Name आज की मुरली PDF / Aaj Ki Murli PDF in Hindi
Pages 1
Language Hindi
Source pdfinbox.com
Category General
Download PDF Click Here

मुरली शब्दकोष | Murli Shabdkosh

क्रम सं. शब्‍द  अर्थ 
1 सिकीलधे  मूल शब्द सिक से बना जिसका अर्थ अत्यन्त प्रिय, लाडले, जिस तरह लौकिक माता-पिता को  बहुत प्रतीक्षा के उपरान्त पुत्ररत्न प्राप्ति पर बच्चे से बहुत सिक- सिक (Love) होना (अतिस्नेह) होती है।उसी तरह परमात्मा को भी जब 5000 वर्षोंपरान्त बच्चों से संगम पर मिलन होता है] तो बच्चों से बहुत सिक- सिक होती है। (सिन्धी शब्द पर मूलतः फारसी भाषा का शब्द)
2 16 कला सम्पन्न मानव स्वभाव/व्यवहार की सर्वश्रेष्ठ कला (100% सर्वगुण सम्पन्न)
3 अंगद के समान अचल अडिग/कैसी भी परिस्थिति में स्थिर रहना
4 अकर्ता कर्म के खाते से दूर/निर्लिप्त/निर्बंधन
5 अकर्म जिस कर्म का खाता ही न बने  अर्थात् सत्कर्म के खाते का क्षीण होना (देवताओं का कर्म इसी कोटि में आता है।)
6 अकालमूर्त जिसका काल भी न कुछ  बिगाड़ सके/अमर/ मृत्युंजय स्वरूप/ नित्य/ अविनाशी
7 अखुट कभी न समाप्त होने वाला लगातार अनवरत
8 अचल-अडोल जो न डिगनेवाला हो और न हिले अर्थात् हमेशा स्थिर रहे।
9 अजपाजप लगातार जाप करना वह जप जिसके मूल मंत्र हंसः का उच्चारण श्वास- प्रश्वास के गमनागमन मात्र से होता जाये इस जप की संख्या एक दिन और रात में २१,६०० मानी गर्इ है।
10 अजामिल पुराण के अनुसार एक पापी ब्राह्मण का नाम जो मरते समय अपने पुत्र ‘नारायण’ का नाम लेकर तर गया
11 अनन्‍य एकनिष्‍ठ/ एक ही में लीन हो
12 अनादि जिसका न कोई आदि/आरम्भ हो, न अन्त हो
13 अन्तर्मुखता आत्मिक स्थिति में रहना/भीतर की ओर उन्मुख/आंतरिक ध्यानयुक्त।
14 अन्तर्मुखी शान्त/जो शिव बाबा की याद में अन्तर्मुखी स्वभाव वाला हो जाये
15 अन्तर्यामी मन के ज्ञाता/सबकुछ जानने वाला
16 अभूल भूल न करने वाला
17 अमल आचरण, व्‍यवहार, कार्यवाही
18 अमानत एक  निश्चित  समय के लिए कोई चीज़ किसी के पास रखना
19 अलबेलापन गैर जिम्मेदाराना व्यवहार/कर्म आलस्य (पांच विकारों पर भी भारी पड़ने वाला विकार)
20 अबलाओं अन्‍याय व अत्‍याचार से पीडित वह स्‍त्री जिसमें बल न रह गया हो/ शक्तिहीन हो
21 अलाएँ खाद, विकार
22 अलाव स्वीकार करना/ज्ञान देना
23 अलौकिक जो इस लोक से परे का व्यवहार करे
24 अल्लफ एक परमात्मा
25 अविद्याभव अज्ञानता के कारण भूल जाना
26 अविनाशी बृहस्पति अविनाशी राज्यभाग (ब्रह्मा के साथ)
27 अव्यक्त सम्पूर्ण ब्रह्मा सूक्ष्म वतनवासी ब्रह्मा
28 अशरीरी शरीर में रहते हुए शरीर से अलग डिटैच/भिन्न/बिना
29 अष्टरत्न सबसे आगे का नम्बर/पास विद् आनर केवल आठ आत्माएं/आठ की माला इन्हीं से बनती है।
30 असल सही मायने में/सच/वास्तव में
31 अहम् ब्रह्मस्मि मैं ही ब्रह्म हूं
32 आत्मभिमानी देह में रहते अपने को आत्मा रूप में स्थिर रहना या अनुभव करना
33 आत्माएं अंडेमिसल रहती परमधाम में ऊपर परमात्मा के नीचे नम्बरवार आत्माएं अण्डे की तरह/सरीखे रहती है।
34 आथत धैर्य, धीरज
35 आदम-ईव सृष्टि के शुरू में आने वाले प्रथम नर-नारी (हिन्दू धर्म में मनु-श्रद्धा)
36 आदमशुमारी बहुतायत/अति/जनगणना भी एक अर्थ में
37 आप ही पूज्य आपे पुजारी स्वयं की (अपने देव स्वरूप की) स्वयं ही पूजा करने वाली देव वंशावली की आत्माएं जो द्वापर से अपनी ही पूजा शुरू कर देती हैं।
38 आपघात  आत्‍महत्‍या
39 आपे ही तरस परोई देवताओं की बड़ाई और अपनी बुराई की भक्ति का गायन
40 आशिक प्रेम करनेवाला मनुष्य या भक्त, चित्त से चाहने वाला मनुष्य-आत्मा
41 अतीन्‍द्रिय सुख  जो इन्‍द्रियज्ञान के बाहर हो, जिस सुख का अनुभव इन्‍द्रियों द्वारा ना हो सके
42 आहिस्ते आहिस्ते धीरे धीरे
43 इत्तला देना जानकारी देना
44 उजाई माला बुझी हुई माला
45 उतरती कला उत्तरोत्तर या सतयुग से धीर धीरे 16 कलाओं में ह्रास/कमी आना
46 उपराम राम के समीप/न्यारापन निरन्तर योगयुक्त रहकर चित्त को सर्व-सम्बन्ध, सर्व प्रकृति के आकर्षण से न्यारा हो जाना ही उपराम होना है। इस सृष्टि में अपने को मेहमान समझने से उपराम अवस्था आएगी।
47 उल्हना लाहना, शिकायत, किसी की भूल या अपराध को उससे दुःखपूर्वक जताना, किसी से उसकी ऐसी भूल चूक के विषय में कहना सुनाना जिससे कुछ दुःख पहुँचा हो।
48 ऊँ शान्ति   मैं आत्मा शान्त स्वरूप हूँ
49 ऋद्धि-सिद्धि  गणेश की पूजा यदि विधिवत की जाए, तो इनकी पतिव्रता पत्‍नियां ऋद्धि-सिद्धि भी प्रसन्‍न हो कर घर-परिवार में सुख-शान्ति और संतान को निर्मल विद्या बद्धि देती हैा ऋद्धि-सिद्धि यशस्‍वी, वैभवशाली व प्रतिष्‍ठित बनाने वाली होती है।
50 एक ओंकार परम शक्ति एक ही है
51 एकानामी एक शिव परमात्‍मा के अलावा किसी की याद ना रहे, मन-बुद्धि में एक शिव ही याद रहे
52 एशलम जहॉं दु:खी व अशान्‍त आत्‍माओं को शरण मिलती है।
53 ओम् मैं आत्मा
54 कखपन बुराई/अवगुण
55 कच्छ-मच्छ परमात्मा के अवतारों के पौराणिक नाम यथार्थ- मत्स्यावतार, कच्छ,वराह
56 कट विकार
57 कब्रदाखिल अकाले अवसान/मृत्यु/समाप्ति
58 कयामत कुरान के अनुसार कयामत के दिन भगवान मुर्दों में भी जान फूंक देंगे। कयामत के दिन ना बाप-बेटा, भाई-बहन का इस दुनिया की कीमती से कीमती चीज और ना ही किसी की सफारिश तब किसी इन्‍सान के काम आएगी। केवल अच्‍छे आमालों और इस्‍लाम के स्‍तंभों और सुन्‍नत तरीकों से जिंदगी गुजारने वाले इंसानों को ही जन्‍नत में भंजा जाएगा। पाप बढ़ जाएंगे, अधिकाधिक भूकंप आएंगे, औरतों की तादाद में मर्द ज्‍यादा होंगे
59 करनकरावनहार सब कुछ करने कराने वाला परमात्मा
60 करनीघोर जिन्हें मुर्दे की बची चीजें दी जाती हैं।
61 कर्म शारीरिक अंगों द्वारा किया गया कोई भी कार्य
62 कर्मभोग विकर्मों का खाता जिसे भोगना पड़ता है या योगबल से मिटाया जा सकता है।
63 कर्मातीत कर्म के बन्धन से दूर/जीवन-मुक्त आत्मा/कलियुग अन्त तक 9 लाख आत्माएं अपने श्रेष्ठ पुरुषार्थ से कर्मातीत अवस्था को प्राप्त करेंगी।
64 कलंगीधर कलंक को धारण करना
65 कलश गगरा, घागर, घड़ा।
66 कल्प 5000 वर्ष का एक चक्र का नाटक/ड्रामा
67 कल्प-कल्पान्तर हर कल्प में (सतयुग से संगमयुग तक)
68 कवच बख्तर/युद्ध में छाती की रक्षा के लिये उपयोगी आवरण
69 कशिश आकर्षण, खिंचाव, झुकाव, रुझान।
70 कागविष्ठा बहुत थोड़ा/कौए की लीद जैसा गन्दा
71 काम कटारी काम विकार में जाना
72 कामधेनु एक गाय जो पुराणानुसार समुद्र के मंथन सक निकली थी। पर चौदह रत्‍नों में से एक है, इससे जो मांगो वही मिलता है।
73 कुब्‍जाओं  जिसकी पीठ टेड़ी हो/कुबड़ा स्‍त्री
74 कुख वंशावली गर्भ से जन्म (लौकिक)
75 कुम्भीपाक नर्क पुराणों में वर्णित एक घोर नर्क
76 कूट पीटते हैं
77 कृष्णपुरी सतयुग में श्रीकृष्ण का राज्य
78 कौड़ी मिसल कौड़ियों के मोल/मूल्यहीन
79 कौरव दुःख देने वाले मनुष्य, ‘जो ईश्वरीय नियम मर्यादाओं को न मानते है और न उनकी श्रीमत पर चलते है, कौरव कहलाते है!’ भारत में कौरव वंशियों का महाविनाश के समय आपस में गृहयुद्ध होगा।
80 खग्गे/कन्धे उछालना खुशी में रहना
81 खलास खत्‍म/समाप्‍त
82 खाद विकारों का लेप हो/युक्‍त हो
83 खिदमतगार सेवाधारी
84 खिव्वैया तारणहार/नैया पार लगाने वाला
85 खुदाई खिदमतगार ईश्वर की खिदमत या सेवा करनेवाला।
86 खैराफत  कुशल क्षेम/ राजीखुशी/ भलाई
87 खोट दोष, अशुद्धि, किसी कार्य या व्यक्ति के प्रति मन में होने वाली बुरी भावना।
88 ख्यानत अमानत  या  धरोहर  के रूप में रखी  वस्तु  को  हड़प लेना या चुरा लेना, बुरी नीयत से किसी दूसरे की संपत्ति का गबन कर लेना बेईमानी या भ्रष्टाचार, विश्वासघात
89 ख्‍यालात विचार या भाव आदि
90 गफलत असावधानी
91 गणिकाओं वेश्‍यावृत्ति  के धन्‍धे में लिप्‍त स्‍त्री
92 गरीब-निवाज़ गरीबों का रहनुमा/मददगार शिव परमात्मा
93 गर्भ जेल गर्भ जेल में रहते कर्म बन्धन के हिसाब किताब चूकतू करना
94 गांवड़े  गाँव का
95 गुरूमत प्रसिद्ध गुरूओं के मत पर आधारित
96 गुंजाइश स्‍थान/ जगह/ स्‍माने भर की जगह
97 गुलशन बगीचा
98 गृहचारी  गृहों की स्‍थिति के अनुसार किसी मनुष्‍य की भली बुरी अवस्‍था/ दुर्भाग्‍य
99 गोपीवल्लभ महाभारत में वर्णित गोप-गोपियों के अत्यन्त प्रिय श्रीकृष्ण जिनकी मुरली की धुन सुनने के लिये अपनी सुधि बुधि खोकर काम काज छोड़कर चले आते थे। वास्तव में हम बच्चे ही वही गोप-गोपियां हैं, जो नित उस परमप्रिय शिवबाबा अर्थात् गोपीबल्लभ  को याद किये और मुरली सुने बिना नहीं रह सकती हैं।
100 गोया मानो/अर्थात्
नीचे दिए गए बटन पर क्लिक करके आप आज की मुरली PDF / Aaj Ki Murli PDF in Hindi डाउनलोड कर सकते हैं।
Download PDF

Share this article

Ads Here