नमस्कार पाठकों, आज इस लेख के माध्यम से हम आप सभी के लिए कुष्मांडा माता व्रत कथा / Maa Kushmanda Vrat Katha PDF लेकर आए हैं। नवरात्रों में चौथे दिन माता कुष्मांडा जी की पूजा की जाती है। कुष्मांडा एक संस्कृत का शब्द है प्राचीन ग्रंथो के अनुसार माता कुष्मांडा से पूर्व सृष्टि की रचना नहीं थी तब चारों तरफ अंधकार ही अंधकार था। कुष्मांडा देवी द्वारा ही हमारे ब्रह्मांड की रचना हुई। इसी वजह से इन्हें कुष्मांडा के नाम से जाना जाता है।
जो भी व्यक्ति माता कुष्मांडा की पूजा करता है वह भय मुक्त हो जाता है। आप पूर्ण विधि विधान से पूजा कर माता का आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं। माता की कृपा आप पर और आपके परिवार पर हमेशा बनी रहेगी। आप इस पोस्ट में चौथा नवरात्री व्रत कथा / chautha navratri vrat katha को बिना किसी परेशानी के पढ़ सकते हैं। कथा को पीडीएफ फॉर्मेट में डाउनलोड करने के लिए पोस्ट के लास्ट में दिए गए डाउनलोड पीडीएफ बटन पर क्लिक करें।
कुष्मांडा माता व्रत कथा | Maa Kushmanda Vrat Katha PDF – सारांश
PDF Name | कुष्मांडा माता व्रत कथा / Maa Kushmanda Vrat Katha PDF |
Pages | 1 |
Language | Hindi |
Our Website | pdfinbox.com |
Category | Religion & Spirituality |
Source | pdfinbox.com |
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कूष्माण्डा माता कथा | Kushmanda Mata Vrat Katha
पृथ्वी पर अंधकार का समय था। सभी देवताओं ने इस अंधकार को दूर करने के लिए भगवान विष्णु से एक देवी का अवतार लेने की प्रार्थना की। तब भगवान विष्णु ने अपनी माता कुष्मांडा को आज्ञा दी। मां ने अपने तेज से ब्रह्मांड की रचना की और अंधकार को दूर किया।
कहा जाता है कि मां कुष्मांडा ने अपनी ऊर्जा से संपूर्ण ब्रह्मांड का निर्माण किया और उन्होंने सूर्य का भी निर्माण किया। जब अम्मा ने अपनी हँसी से पूरी दुनिया की रचना की, तो सभी प्राणियों में जीवन का संचार हो गया।
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