बजरंग बाण हिंदी लिरिक्स PDF | Bajrang Baan Lyrics in Hindi PDF

नमस्कार पाठकों, इस लेख के माध्यम से आप बजरंग बाण हिंदी लिरिक्स PDF / Bajrang Baan Lyrics in Hindi PDF प्राप्त कर सकते हैं। जो भी व्यक्ति सच्चे दिल से हनुमान जी की पूजा करता है वह सभी प्रकार के भय से संपूर्ण जीवन मुक्त रहता है बहुत से लोग भगवान हनुमान जी को प्रसन्न करने के लिए हनुमान चालीसा का जाप करते है परंतु यदि हनुमान चालीसा के साथ-साथ बजरंग बाण का पाठ किया जाए तो हनुमान जी की असीम कृपा बनी रहती है यदि आप बजरंग बाण पाठ का जाप करने जा रहे हैं तो आपने सही जगह पर है यहाँ से आप बिना किसी परेशानी के बजरंग बाण का पाठ की सभी जानकारी इकट्ठा कर सकते हैं।

बजरंग बाण का पाठ मंगलवार से ही शुरू करना चाहिए यदि बजरंग बाण पाठ का पूर्ण विधि-विधान से किया जाए तो आपके और आपके परिवार को भविष्य में किसी भी प्रकार की समस्या का सामना नहीं करना पड़ेगा जो भी व्यक्ति श्री हनुमान रक्षा स्तोत्र का जाप करता है हनुमान जी के साथ-साथ भगवान राम की भी कृपा उस पर बनी रहती है आप यहां से बिना किसी परेशानी के बजरंग बाण को पढ़ सकते हैं और भगवान का जाप कर सकते हैं यदि आप हनुमान जी बजरंग बाण की पीडीऍफ़ डाउनलोड करना चाहते हैं तो नीचे बटन पर क्लिक करके डाउनलोड कर सकते है।

बजरंग बाण हिंदी लिरिक्स PDF | Bajrang Baan Lyrics in Hindi PDF – सारांश

PDF Name बजरंग बाण हिंदी लिरिक्स PDF | Bajrang Baan Lyrics in Hindi PDF
Pages 2
Language Hindi
Source pdfinbox.com
Category Religion & Spirituality
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बजरंग बाण पाठ | Bajrang Baan


|| दोहा ||

निश्चय प्रेम प्रतीति ते, बिनय करैं सनमान।
तेहि के कारज सकल शुभ, सिद्ध करैं हनुमान॥

|| बजरंग बाण चौपाई ||

जय हनुमंत संत हितकार, सुन लीजै प्रभु अरज हमारी
जन के काज बिलंब न कीजै, आतुर दौरि महा सुख दीजै
जैसे कूदि सिंधु महिपारा, सुरसा बदन पैठि बिस्तारा

आगे जाय लंकिनी रोका, मारेहु लात गई सुरलोका
जाय बिभीषन को सुख दीन्हा, सीता निरखि परमपद लीन्हा
बाग उजारि सिंधु महँ बोरा, अति आतुर जमकातर तोरा
अक्षय कुमार मारि संहारा, लूम लपेटि लंक को जारा

लाह समान लंक जरि गई, जय-जय धुनि सुरपुर नभ भई
अब बिलंब केहि कारन स्वामी, कृपा करहु उर अंतरयामी
जय-जय लखन प्रान के दाता, आतुर ह्वै दुख करहु निपाता
जय हनुमान जयति बल-सागर, सुर-समूह-समरथ भट-नागर

ॐ हनु-हनु-हनु हनुमंत हठीले, बैरिहि मारु बज्र की कीले
ॐ ह्नीं ह्नीं ह्नीं हनुमंत कपीसा, ॐ हुं हुं हुं हनु अरि उर सीसा
जय अंजनि कुमार बलवंता, शंकरसुवन बीर हनुमंता
बदन कराल काल-कुल-घालक, राम सहाय सदा प्रतिपालक

भूत, प्रेत, पिसाच निसाच, र अगिन बेताल काल मारी मर
इन्हें मारु, तोहि सपथ राम की, राखु नाथ मरजाद नाम की
सत्य होहु हरि सपथ पाइ कै, राम दूत धरु मारु धाइ कै
जय-जय-जय हनुमंत अगाधा, दुख पावत जन केहि अपराधा

पूजा जप तप नेम अचारा, नहिं जानत कछु दास तुम्हारा
बन उपबन मग गिरि गृह माहीं, तुम्हरे बल हौं डरपत नाहीं
जनकसुता हरि दास कहावौ, ताकी सपथ बिलंब न लावौ
जै जै जै धुनि होत अकासा, सुमिरत होय दुसह दुख नासा

चरन पकरि, कर जोरि मनावौं, यहि औसर अब केहि गोहरावौं
उठु, उठु, चलु, तोहि राम दुहाई, पायँ परौं, कर जोरि मनाई
ॐ चं चं चं चं चपल चलंता, ॐ हनु हनु हनु हनु हनुमंता

ॐ हं हं हाँक देत कपि चंचल, ॐ सं सं सहमि पराने खल-दल
अपने जन को तुरत उबारौ, सुमिरत होय आनंद हमारौ
यह बजरंग-बाण जेहि मारै, ताहि कहौ फिरि कवन उबारै
पाठ करै बजरंग-बाण की, हनुमत रक्षा करै प्रान की

यह बजरंग बाण जो जापैं, तासों भूत-प्रेत सब कापैं
धूप देय जो जपै हमेसा, ताके तन नहिं रहै कलेसा
ताके तन नहिं रहै कलेसा

उर प्रतीति दृढ़, सरन ह्वै, पाठ करै धरि ध्यान
बाधा सब हर, करैं सब काम सफल हनुमान

दोहा

उर प्रतीति दृढ़, सरन ह्वै, पाठ करै धरि ध्यान।
बाधा सब हर, करैं सब काम सफल हनुमान॥

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